रायगढ़ - जिले में संचालित चिटफंड कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर ग्र ामीणों से करोड़ों रुपये की ढगी गई है। जिले में विभिन्न परियोजनाओं व उद्योग धंधों के लिए ग्र ामीणों की भूमि का अधिग्र हण किया गया था जिसकी ग्र ामीणों को भारी भरकम मुआवजा राशि प्राप्त हुई थी। ग्र ामीणों के पास भारी भरकम राशि देख कर जिले में चिटफंड कंपनियों की बाढ़ सी आई गई थी। चिटफंड कंपनियां ग्र ामीणों से करोड़ों रुपये हड़प कर गायब हो चुकी है। अब प्रदेश सरकार ने छत्तीसगढ़ के निवेशकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2005 लागू कर निवेशकों के हितों का संरक्षण का अधिकार दिया है। राज्य शासन द्वारा नया अधिनियम बनाकर चिटफंड कंपनियों पर नकेल कसने की मंशा से जिले के कलेक्टरों व पुलिस अधीक्षकों को निर्देशित किया गया है। अधिनियम के मुताबिक चिटफंड कंपनियों से उपभोक्ताओं की राशि वसूली न होने पाने की स्थिति में कंपनी की संपत्ति कुर्क कर नीलाम भी की जा सकेगी।
क्या है अधिनियम में
अधिनियम में चिटफंड कपंनियों के विरुद्घ शिकायत मिलते ही सक्षम अधिकारी द्वारा जांच की जाएगी। गड़बड़ी पाए जाने पर निवेशकों के राशि लौटाने की दिशा में काम किया जाएगा। यदि जरुरत प़ डी तो कंपनी की संपत्ति भी कुर्क कर निलाम की सकेगी। अदालत में दोष सिद्घ होने पर 3 से 10 साल की जेल और 1 से 5 लाख तक का जुर्माना साथ ही कंपनी पर भी 3-10 लाख का जुर्माना का प्रावधान है। खास बात यह है कि कंपनी पर जुर्माना लगाते समय जमाकर्ताओं की जमा राशि पर ध्यान रखा जाएगा। कुर्क की गई संपत्ति को नीलाम कर निवेशकों के राशि वापस दिलाने का प्रावधान है। अग्रि म जमानत मंजूर नहीं होगी अदालत के आदेश के विरुद्घ अपील 30 दिनों के अंदर हाईकोर्ट में की जाएगी। अपील तभी स्वीकार होगी जब निवेशकों की 75 प्रतिशत के बराबर राशि जमा करा दी जाएगी।
शासन की ओर चिटफंड कंपनियों पर नकेल कसने और कार्रवाई के लिए नए अधिनियम कार्रवाई होगी। इसके लिए हम अधिनियम का अवलोकन भी कर रहे हैं साथ जिले में संचालित ऐसी चिटफं ड कंपनियों की स्थिति व काम की जानकारी ले रहे हैं।
एसएस कुरवंशी
जिला कोषालय अधिकारी
व चिटफंड कंपनी जांच अधिकारी
See Also: चिटफंड कंपनियों की सूची जल्द उपलब्ध कराएं