कोलकाता: राज्य में चिटफंड घोटाले का पर्दाफाश होने और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा मामले की जांच हाथ में लेने के बावजूद अब तक निवेशकों को उनका पैसा वापस नहीं मिला है. इससे परेशान चिटफंड घोटाले के पीड़ितों ने आंदोलन का एलान किया है. छह सूत्री मांगों को लेकर ऑल बंगाल चिटफंड डिपोजिटर्स एंड एजेंट्स फोरम (All Bengal Agents & Depositors Forum) ने आंदोलन छेड़ा है. फोरम के अध्यक्ष रूपम चौधरी ने बताया कि 29 सितंबर को कोलकाता में विरोध जुलूस निकाला जायेगा. नवंबर के तीसरे सप्ताह में महानगर में 48 घंटे तक धरना दिया जायेगा. साथ ही दिसंबर महीने में संसद अभियान भी किया जायेगा.
श्री चौधरी ने बताया कि सभी सांसदों व बंगाल के सभी विधायकों को चिटफंड पीड़ितों की समस्याओं के संबंध में पत्र भी लिखा जायेगा. उनका कहना है कि 2012 में सारधा और दूसरी चिटफंड कंपनियां रहस्यमय तरीके से गायब हो गयीं. तब तक करीब दो लाख करोड़ रुपये उन्होंने निवेशकों से हासिल कर लिया था.
पुलिस व प्रशासन इस संबंध में कुछ नहीं कर रहा है. अब तक 200 से अधिक निवेशक व एजेंट्स आत्महत्या कर चुके हैं. लाखों निवेशकों का भविष्य अधर में लटका हुआ है. सीबीआई जांच पर भी निवेशकों का कोई भरोसा नहीं है.
लिहाजा निवेशकों व एजेंट्स की मांग है कि राज्य व केंद्र सरकार चिटफंड कंपनियों में निवेश करने वाले लोगों का पैसा वापस दिलवाये. चिटफंड के एजेंट्स को सुरक्षा मुहैया करायी जाये. घोटाले का परदाफाश होने के बाद आत्महत्या करने वाले निवेशकों व एजेंट्स के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाये. घोटाले में शामिल आरबीआई (RBI), सेबी (SEBI) आदि के अधिकारियों को चिह्नित किया जाये और उन्हें सजा दी जाये. इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार जिम्मेदारी ग्रहण करे.
संगठन का आरोप
फोरम के अध्यक्ष रूपम चौधरी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार द्वारा गठित श्यामल सेन कमीशन की रिपोर्ट को राज्य सरकार ने ग्रहण न करके इसे नाटक के रूप में बदल दिया है. उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार की ओर से 500 करोड़ रुपये का फंड निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए बनाया गया था. यह श्यामल सेन कमीशन के द्वारा ही दिया जाना तय हुआ था.
लेकिन सरकार को इस राशि में से अभी भी करीब 213 करोड़ रुपये निवेशकों को लौटाने हैं. आरोप है कि कमीशन द्वारा दिये गये करीब 102 करोड़ रुपये के चेक अमान्य हुए हैं.
हाइकोर्ट का क्या है निर्देश
इधर, कलकत्ता हाइकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर व न्यायाधीश जयमाल्य बागची की खंडपीठ ने गत चार सितंबर को एमपीएस व रोज वैली के मामलों की सुनवाई के दौरान कहा कि प्रॉहिबिशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत अंतरिम तौर पर जब्त संपत्ति की बिक्री नहीं की जा सकती. लेकिन निवेश करने वाली आम जनता के हित में हाइकोर्ट ने पूछा है कि जब्त संपत्ति को अंतरिम तौर पर बेच कर उसे हाइकोर्ट के पास सुरक्षित रखा जा सकता है या नहीं. इस संबंध में हाइकोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार व याचिकाकर्ता से उनका विचार मांगा है. इस संबंध में हाइकोर्ट में एक सप्ताह बाद मामले की फिर से सुनवाई होनी है.
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