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Chit fund company's fraud victims had camped three states

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अंबाला : छावनी में मुख्यालय चलाने वाली चिटफंड कंपनी की धोखाधड़ी के शिकार झारखंड, ओड़िशा और आंध्र प्रदेश के करीब 60 लोगों ने रकम वापसी के लिए यहां में डेरा डाल दिया है। निवेश के नाम पर धोखाधड़ी का शिकार हुए ये लोग शुक्रवार को छावनी स्थित एसीपी कार्यालय पहुंचे और आरोपी की गिरफ्तारी और मामला दर्ज करने की मांग की। हालांकि पीड़ितों ने पुलिस पर असहयोगी रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। पीड़ितों का कहना है कि उन्होंने पुलिस को सभी प्रकार के दस्तावेज उपलब्ध करा दिए हैं, लेकिन पुलिस आरोपी तक नहीं पहुंच पा रही है। एसीपी सुरेश कौशिक का कहना है कि वे इस मामले में जांच कर रहे हैं, जांच के आधार पर ही कोई कार्रवाई की जाएगी।



इस मामले में झारखंड निवासी हरीश, मनोज नाग, वासुदेव कौड़ा बालेश्वर पांडया, ओड़िशा के रहने वाले सुशील प्रधान, दुर्गाचरण, सुमित माणिक और आंध्र प्रदेश के राजोलू ने बताया कि छावनी में मुख्यालय चलाने वाली चिटफंड कंपनी मिलियन माइल्स इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डवलेपमेंट कंपनी ने उनके साथ निवेश के नाम पर धोखाधड़ी की है। यह कंपनी नाम बदल कर निवेशक और एजेंटों को धोखा देती आई है। इस कंपनी के दिल्ली, झारखंड, आंध्रप्रदेश, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल आदि में कार्यालय हैं, जहां इस कंपनी ने लोगों को अच्छे मुनाफे का झांसा देकर अल्प अवधि और लंबी अवधि के लिए निवेश कराया। ऐसे में कंपनी में करोड़ों रुपये निवेश हुआ है। जब उन लोगों के बांड मच्योर हुए तो कंपनी ने उन्हें उनकी रकम देने से मना कर दिया। इतना ही नहीं उन्हें धमकाना शुरू कर दिया। हालात ये है कि कई लोग कंपनी की धोखाधड़ी से तंग आकर आत्महत्या कर चुके हैं। कंपनी में कभी निवेशक और बाद में एजेंट बने लोगों का कहना है कि वे ऐसी स्थिति में हैं कि वापस तक नहीं लौट सकते। उन्हें जान से मरने की धमकियां मिल रही हैं। जिससे उन्हें अंबाला की धर्मशालाओं में रुकना पड़ रहा है।



कंपनी ने कभी नाम बदला तो कभी प्लान



-झारखंड निवासी हरीश के मुताबिक कंपनी में अंबाला निवासी ललित कुमार झांब मुख्य भूमिका में हैं। उसने छोटा खुड्डा में आफिस बनाया हुआ है। वहां कंपनी का मैरिजि पैलेस व अन्य प्रॉपर्टी है। हरीश के मुताबिक वे और उनके जैसे ज्यादातर लोग साल 2008-09 में रूद्राणी के नाम से सामने आई थी। उसने पांच साल की एफडी, सात साल की आरडी व ईएमआइ की आकर्षक योजनाएं पेश की थीं। उसमें पैसे पर अच्छे मुनाफे का भरोसा दिया गया था। ईएमआइ में एक बार निवेश की गई राशि पर 10 फीसद प्रति माह वापस देने का वादा किया था। अगर कोई तीन साल की ईएमआइ कराता था, तो उसे तीन साढ़े तीन साल में लगभग डबल मिल रहा था। हालांकि कंपनी ने एक साल तक तो ईएमआइ पर ठीकठाक पैसा वापस किया, लेकिन बाद में चेक बाउंस होने लगे। बाद में साल 2010 में इस कंपनी का नाम बदलकर ब्लू रेज हो गया। उसने तीन माह में पैसा वापस करने का भरोसा दिया। हरीश के मुताबिक कंपनी में निवेश करने वाले बहुत से लोग बाद में एजेंट के तौर पर भी जुड़ गए थे, जिन्हें कमीशन देने का भरोसा दिया गया था। ब्लू रेज कंपनी में नई योजना आई थी कि जो व्यक्ति छह माह के लिए बिना कोई लाभ के पैसा देगा, उसे फिर अगले 10 महीने तक पूंजी का 10 फीसद तक दिया जाएगा। इसके अलावा एक लाख का बांड भी मिलेगा। ऐसे में 16 माह में पैसे डबल करने का भरोसा दिया गया। बाद में कंपनी के चेक बाउंस होने लगे।



रियल इस्टेट के बांड का भरोसा देकर दिया झांसा



- निवेशकों और एजेंटों के मुताबिक साल 2010 में कंपनी ने सभी निवेशकों व एजेंटों की बैठक बुलाई और पैसा लौटाने का भरोसा दिया। अब कंपनी ने मिलियन माइल्स इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट के तौर पर काम शुरू कर दिया था। कंपनी पर कार्रवाई की मांग कर रहे लोगों के मुताबिक कंपनी को सरकार से रियल एस्टेट बांड में निवेश कराने की स्वीकृति मिल गई है। उसमें उन्हें उनकी रकम की कीमत के बांड दे दिए जाएंगे और साढ़े तीन साल, पांच साल व सात साल के होंगे व मुनाफा भी अलग अलग होगा। इसके अलावा भी उन्हें रकम मिलेगी। इस दौरान जिन लोगों ने इस योजना को नहीं माना उन्हें बाद में कंपनी ने लगभग 50 फीसद राशि वापस भी कर दी थी लेकिन बाकी अभी भी बकाया है। अब ये सभी बांड मच्योर हो चुके हैं, लेकिन कंपनी ने उन्हें रकम देने से इंकार कर दिया है। बल्कि कंपनी ने उनके प्रदेशों को छोड़कर छत्तीसगढ़ व पश्चिम बंगाल आदि में लोगों को झांसा देना शुरू कर दिया है। कंपनी की तरफ से उन्हें धमकियां मिल रही हैं।



प्रॉपर्टी दिखाकर दिया झांसा, कराए सेमिनार



- कंपनी से ठगा महसूस कर रहे एजेंटों का कहना है कि कंपनी अकसर अंबाला स्थित पैलेस में उनकी बैठकें बुलाती थीं। उससे वे कई बार अंबाला आ चुके हैं। कंपनी ने अपनी प्रॉपर्टी दिखाकर अकसर उन्हें झांसा दिया। ऐसे ही सेमिनार झारखंड, आंध्र प्रदेश व ओड़िशा आदि में भी कराए गए। कंपनी के झांसे में हजारों लोग आ चुके हैं, जिनके करोड़ों रुपये डूबे हैं।



जांच की जा रही है



इस मामले में एसीपी सुरेश कौशिक का कहना है कि अलग-अलग राज्यों से आए लोगों ने चिटफंड कंपनी के नाम पर उनसे धोखाधड़ी की शिकायत सौंपी हैं। संबंधित दस्तावेज भी दिए हैं। अब जांच चल रही है। जांच के अनुसार ही कोई कार्रवाई की जाएगी।




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  • 16 May, 2016
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