जांजगीर-चांपा. विनायक होम्स एवं रियल एस्टेट कंपनी के स्थानीय दफ्तर में ताला लगने के बाद रकम जमा करने वाले निवेशक व एजेंट लगातार सामने आ रहे हैं। शनिवार को करीब पांच दर्जन एजेंट व निवेशकों ने कलेक्टोरेट का घेराव कर दिया। उन्होंने कंपनी से जुड़े डेढ़ दर्जन लोगों का नाम बताया, जिनके कहने पर उन्होंने करीब पांच करोड़ रुपए जमा कराया था। उन्होंने कलेक्टर से कंपनी के के जिम्मेदार अधिकारी व यूनिट सीनियर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की। उन्होंने कई खुलासे भी किए।
विनायक होम्स एवं रियल एस्टेट कंपनी प्रबंधन के शिकार करीब 54 लोग फिर सामने आए हैं। इन्होंने शनिवार को कलेक्टोरेट का घेराव कर उन लोगों के नामों का खुलासा किया, जिनके कहने पर इन्होंने करीब पांच करोड़ रुपए जमा किया था। कंपनी के एमडी जितेन्द्र बिसे के गिरफ्तार होने के दो माह बाद भी निवेशकों की रकम नहीं मिली है। हालांकि पुलिस का कहना है कि कंपनी की अचल संपत्ति की जानकारी जुटाई जा रही है, जिसे कुर्क कर निवेशकों को दिया जाएगा, लेकिन अब तक इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है।
इस वजह से विनायक होम्स एवं रियल एस्टेट कंपनी में निवेश करने वाले लगातार सामने आ रहे हैं। शनिवार को कलेक्टोरेट पहुंचे निवेशकों ने खुलासा कि जिला सहित कोरबा व रायपुर के दर्जनभर से अधिक कंपनी के डायरेक्टर प्रतिनिधि हैं, जो मैनेजमेंट एवं यूनिट सीनियरों के नाम से जाने जाते हैं। हालांकि ये खुद को अभिकर्ता बताते हैं।
उन्होंने बताया कि विनायक होम्स को छत्तीसगढ़ में लाने का पूरा श्रेय इन्हीं लोगों को है, जबकि इन्हीं लोगों ने कंपनी से मिलीभगत कर हमें एजेंट बनाया था। उनका कहना है कि इन लोगों ने ही अपने नाम पर जमाकर्ताओं से चेक के जरिए पैसा लिया है। उन्होंने शंका व्यक्त किया है कि जमाकर्ताओं से लिए गए पैसे का उपयोग कंपनी के बजाय खुद किया गया है। महज 2010 से 2015 की अल्प अवधि में यूनिट सीनियरों ने करोड़ों की चल-अचल संपत्ति बना ली है। इन्होंने देनदारियों की जिम्मेदारी ली थी लेकिन बीते 15 माह से जमाकर्ताओं को रकम नहीं दी जा रही है। वहीं अब पूरी जवाबदारी कंपनी पर थोपी जा रही है।