- पेटलावद थाने पर बिठाया, निवेशकों ने की थी जनसुनवाई में शिकायत
झाबुआ/पेटलावद। चिटफंड कंपनी प्रज्ञा डेयरी एंड एग्रो प्रोडक्ट लिमिटेड के चेयरमैन पीसी पाटीदार को पेटलावद पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। वो मूल रूप से रायपुरिया के पास के गांव बनी का रहने वाला है और फिलहाल इंदौर में रहता है। सोमवार शाम को उसकी निवेशकों और एजेंटों से बकाया लौटाने को लेकर बैठक हुई, लेकिन बात बनी नहीं। इस बीच कुछ लोगों ने थाने पर जाकर उसके आने की सूचना दी। कुछ दिन पहले कुछ एजेंटों ने झाबुआ एसपी से जनसुनवाई में चेक बाउंस होने की शिकायत की थी। सोमवार शाम से पुलिस ने पाटीदार को थाने पर बिठा रखा है। हालांकि अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई। पुलिस सारे तथ्य जुटाने में लगी है। इसमें 16 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी का मामला सामने आने की संभावना है।
इस मामले के बारे में सोमवार शाम जैसे-जैसे लोगों को पता चलता गया, थाने के सामने भीड़ जुटने लगी। मंगलवार सुबह तक कई वाहन भी दिखाई दिए। कोई आरोपी को बचाने के लिए आया था, तो कोई उसके खिलाफ शिकायत करने। थाने पर दिनभर गहमा-गहमी का आलम रहा।
नईदुनिया ने प्रमुखता से उठाया था मामला
चिट फंड कंपनियों के मामले को नईदुनिया ने 7 मार्च को प्रमुखता से उठाकर शासन-प्रशासन को आगाह किया था कि लोगों को ठगा जा रहा है। संबंधित लोगों पर कार्रवाई होना चाहिए। कुछ नवयुवकों ने जनसुनवाई में भी शिकायत कर चिटफंड कंपनी से पैसे वापस दिलवाने की मांग की थी, लेकिन प्रशासन उदासीन बना रहा। दरअसल रायपुरिया क्षेत्र के ग्राम बनी निवासी पीसी पाटीदार द्वारा प्रज्ञा डेयरी के नाम से चलाई जा रही चिटफंड कंपनी में जिले सहित रतलाम, मंदसौर और अन्य जगहों के लोगों को भी पैसा फंसा हुआ है। छोटे-बड़े किसानों और मजदूर वर्ग के लोगों से पूंजी जमा करवाई गई थी। परिपक्वता पर राशि लौटाई नहीं जा रही।
एजेंट ने दी सूचना
सोमवार को किसी एजेंट की सूचना पर पुलिस ने पीसी पाटीदार को पकड़ा था। बताया जाता है पास के एक ढाबे पर बकाया पैसों को लेकर एजेंटों और पाटीदार के बीच बैठक हुई। लेकिन बात बिगड़ी तो एजेंट ने पुलिस को सूचना दे दी।
करोड़ों के घोटाले का मामला
पीसी पाटीदार मूल रूप से ग्राम बनी का निवासी है। वह पशु चिकित्सा विभाग में एवीएफओ पद पर था। उसी दरमियान उसने एचबीएन नामक चिटफंड कंपनी में काम शुरू किया। नौकरी में रहते हुए उसने जिले के साथ ही मालवांचल के हजारों लोगों का पैसा इस कंपनी में लगवाया, लेकिन किसी को फायदा नहीं हुआ। इसके बाद कई चिटफंड कंपनियां खोली गईं। पाटीदार ने वर्ष 2000 में सरकारी नौकरी छोड़ दी। मुनाफा देख खुद की कंपनी डाल ली। वह हाई फाई जीवनशैली जीने लगा। इंदौर में उसके कई मकान हैं। इसके अलावा परिवार के हर सदस्य के पास अलग-अलग चार पहिया वाहन हैं। बताया जाता है कि उसने क्षेत्र के कई युवाओं को इस धंधे से जोड़कर उनका जीवन बर्बाद किया है। परत-दर-परत राज खुलने पर चिटफंड कंपनी का ये मामला करोड़ों के घोटाले के रूप में सामने आएगा।
जांच कर कार्रवाई करेंगे
मामले की जांच-पड़ताल की जा रही है। पुलिस को साक्ष्यों और सबूतों की जरूरत होती है। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। - करणीसिंह सक्तावत, टीआई, पेटलावद
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