Chit fund company manager arrested and ordered to confiscate his property
Admin | 18 February, 2016 | 1083 | 3980
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राज्य उपभोक्ता आयोग ने 15 से 20 फीसदी ब्याज देने के नाम पर ग्रामीणों से पैसा जमा कराने और मेच्योरिटी के बाद भी उनका पैसा नहीं देने के मामले में चिटफंड कंपनी संत शिरोमणि के संचालक राजेंद्र शिवारे की संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया है। साथ ही उनको गिरफ्तारी करने का भी आदेश दिया है।
संस्था के खिलाफ दुर्ग, खोपली, बानबरद, अहिवारा, नंदनी आदि गांवों के 16 ग्रामीणों जिला उपभोक्ता फोरम दुर्ग में याचिका लगाई थी। बानबरद की लक्ष्मी सतनामी में 20 हजार रुपए जमा करने, अहिवारा की राज कुंवर ने 10 रुपए जमा करने समेत अन्य ग्रामीणों ने 10 से 15 हजार रुपए तक जमा किए। किसी को 15 फीसदी ब्याज देने की बात कही तो किसी को 20 फीसदी और इससे ज्यादा भी। ग्रामीणों ने एक से 30 अप्रैल 2005 में किसी ने दस तो किसी ने बीस हजार रुपए उसके पास पांच साल के लिए जमा किए। मेच्योरिटी के बाद भी ग्रामीणों को उनका पैसा नहीं दिया गया। इस पर लक्ष्मी और राज कुंवर समेत सभी 16 ग्रामीणो ने 16 जनवरी 2012 को जिला उपभोक्ता फोरम दुर्ग में याचिका लगाई।
जिला फोरम के आदेश को भी नहीं माना
जिला फोरम ने संचालक पर प्रत्येक मामले के अनुसार दस से 22 हजार रुपए तक जुर्माना किया। एक महीने के भीतर सभी की राशि भुगतान करने को कहा था। संचालक ने निश्चित समय के बाद भी रकम जमा नहीं की। इस पर ग्रामीणों ने एक बार फिर संचालक के खिलाफ रकम नहीं देने का प्रकरण दायर किया।
इस पर फोरम ने संचालक के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने और उसकी संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया था। 20 अक्टूबर 2015 को चिटफंड कंपनी के संचालक ने राज्य उपभोक्ता प्रति तोषण आयोग में चुनौती दी थी। इसमें संचालक ने तर्क दिया था कि मामला फोरम के दायरे में नहीं आता। वहीं प्रार्थियों के अधिवक्ताओं ने अपनी बात रखी थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने फोरम के आदेश को बहाल किया है।
तीन साल कैद और जुर्माना
अधिवक्ता राजकुमार भावनानी ने बताया कि फोरम के आदेश की अवहेलना करने और निश्चित समय पर अपील नहीं करने की स्थिति में चिटफंड कंपनी के संचालक को तीन साल कैद और जुर्माना दोनों हो सकता है। ऐसे मामलों में आदेश होने और उसके विरुद्ध अपील करने की निश्चित अवधि समाप्त होने के बाद उस आदेश को चुनौती नहीं दी जा सकती।
संस्था के खिलाफ दुर्ग, खोपली, बानबरद, अहिवारा, नंदनी आदि गांवों के 16 ग्रामीणों जिला उपभोक्ता फोरम दुर्ग में याचिका लगाई थी। बानबरद की लक्ष्मी सतनामी में 20 हजार रुपए जमा करने, अहिवारा की राज कुंवर ने 10 रुपए जमा करने समेत अन्य ग्रामीणों ने 10 से 15 हजार रुपए तक जमा किए। किसी को 15 फीसदी ब्याज देने की बात कही तो किसी को 20 फीसदी और इससे ज्यादा भी। ग्रामीणों ने एक से 30 अप्रैल 2005 में किसी ने दस तो किसी ने बीस हजार रुपए उसके पास पांच साल के लिए जमा किए। मेच्योरिटी के बाद भी ग्रामीणों को उनका पैसा नहीं दिया गया। इस पर लक्ष्मी और राज कुंवर समेत सभी 16 ग्रामीणो ने 16 जनवरी 2012 को जिला उपभोक्ता फोरम दुर्ग में याचिका लगाई।
जिला फोरम के आदेश को भी नहीं माना
जिला फोरम ने संचालक पर प्रत्येक मामले के अनुसार दस से 22 हजार रुपए तक जुर्माना किया। एक महीने के भीतर सभी की राशि भुगतान करने को कहा था। संचालक ने निश्चित समय के बाद भी रकम जमा नहीं की। इस पर ग्रामीणों ने एक बार फिर संचालक के खिलाफ रकम नहीं देने का प्रकरण दायर किया।
इस पर फोरम ने संचालक के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने और उसकी संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया था। 20 अक्टूबर 2015 को चिटफंड कंपनी के संचालक ने राज्य उपभोक्ता प्रति तोषण आयोग में चुनौती दी थी। इसमें संचालक ने तर्क दिया था कि मामला फोरम के दायरे में नहीं आता। वहीं प्रार्थियों के अधिवक्ताओं ने अपनी बात रखी थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने फोरम के आदेश को बहाल किया है।
तीन साल कैद और जुर्माना
अधिवक्ता राजकुमार भावनानी ने बताया कि फोरम के आदेश की अवहेलना करने और निश्चित समय पर अपील नहीं करने की स्थिति में चिटफंड कंपनी के संचालक को तीन साल कैद और जुर्माना दोनों हो सकता है। ऐसे मामलों में आदेश होने और उसके विरुद्ध अपील करने की निश्चित अवधि समाप्त होने के बाद उस आदेश को चुनौती नहीं दी जा सकती।