खरगोन । चिटफंड कंपनी जीएन डेयरी ने जहां हजारों लोगों की मेहनत की कमाई लेकर रफूचक्कर हो गई है, वहीं इसमें काम करने वाले एजेंटों के सिर पर तलवार लटक रही है। लोग रात-दिन एजेंटों से जमा किए गए रुपए वापस देने की मांग कर रहे हैं। तंग आकर एजेंट गुरुवार को कंपनी के खिलाफ सीजेएम कोर्ट में परिवाद दायर करने के लिए पहुंचे, लेकिन दस्तावेज पूर्ण नहीं होने के कारण मामला दर्ज नहीं हो पाया।
एजेंटों की ओर से पैरवी कर रहे अभिभाषक विशाल पाराशर ने बताया कि कंपनी ने लोगों के साथ-साथ एजेंटों से भी धोखाधड़ी की है। जल्द ही दस्तावेज पूर्ण कर न्यायालय के सामने पेश करेंगे। एजेंट ज्ञानेश्वर पटेल, कालूसिंह सोलंकी ने बताया कि कंपनी ने जिले में करीब 30 करोड़ का कारोबार किया है। जिला मुख्यालय स्थित कार्यालय से जिले सहित बड़वानी, खंडवा और बुरहानपुर का भी कारोबार संचालित होता था। कंपनी ने जिले में 1 हजार से अधिक एजेंट बनाए थे। कंपनी ने पहले दौर में तो तय नियम-शर्त के साथ रुपए लौटाकर हमारा और लोगों का विश्वास जीता, बाद में सबको धोखा देकर रफूचक्कर हो गई।
अब तक नहीं मिला पैसा
प्रेमनगर निवासी सुभाष दिवाले ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2011 में एजेंट के माध्यम से साढ़े तीन लाख रुपए पांच वर्ष में दुगुना करने की बात कर जमा किए थे, लेकिन अब तक राशि मिली है। इस कंपनी में दूध उत्पाद और ज्वेलरी के नाम पर निवेशकों से नियमित और सावधि जमा के नाम पर अभिकर्ताओं के माध्यम से राशि जमा करवाई गई थी। कंपनी अब भी मार्केट में नाम बदलकर काम कर रही है।
कार्रवाई ठंडे बस्ते में
अप्रैल 2011 में जीएन डेयरी के कार्यालय पर अधिकारियों ने छापा मारा था। शिकायतों के बाद तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार, पुलिस अधिकारी सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों ने यह कार्रवाई की थी। बड़ी संख्या में दस्तावेज भी जब्त किए गए थे। इसके बाद से कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई।