Chit fund company had a turnover of 4 years, with crore fled the fair forgery
Admin | 31 December, 2015 | 818 | 3980
रायपुर। देश के कई राज्यों में ब्लैक लिस्टेड एडीवी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी चिटफंड कंपनी शहर में 4 साल तक ठगी का कारोबार करती रही। पांच साल में पैसा दोगुना करने का झांसा देकर कंपनी ने सैकड़ों लोगों से करोड़ों इन्वेस्टमेंट करवाया।
सस्ती दरों में लोन देने का झांसा देकर भी ठगी की। पैसा निवेश करने की मियाद पूरी होने पर निवेशकों ने अपने पैसे मांगने शुरू किए। उसके बाद कंपनी ने चुपचाप अपना ऑफिस बदला औन नई जगह कारोबार शुरू कर दिया। निवेशकों को भनक लग गई। उनकी शिकायत पर पुलिस ने छापा मारकर दफ्तर सील कर दिया है। दस्तावेजों की प्रारंभिक जांच के दौरान ही करोड़ों का वारा न्यारा होने के संकेत मिल रहे हैं।
पुलिस को छापे के दौरान ऑफिस में केवल एक एजेंट और ऑपरेटर मिला है। उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। पता चला है कि कंपनी पूरा लेन-देन ऑन लाइन कर रही थी। यहां केवल नाम के लिए कार्यालय खोला गया था। वहां भी गार्ड को मिलाकर केवल तीन लोगों का स्टाफ रखा गया था। ऑन लाइन लेन-देन के बाद यहां के ऑफिस से केवल डेटा एंट्री करने की खानापूर्ति की जाती थी। गंज थाना प्रभारी केआर सिन्हा ने बताया कि मंगलवार दोपहर 2 बजे शिकायत के बाद देवेन्द्र नगर में चल रही चिटफंड कंपनी के ऑफिस में छापा मारा गया। एक मकान में एडीवी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के नाम से कंपनी का दफ्तर चल रहा था। वहां सहकारिता के नाम पर निवेश कराया जाता था। कंपनी का मुख्यालय इंदौर में है। इंदौर निवासी रघुवीर सिंह राठौर कंपनी के डायरेक्टर है। अफसरों ने बताया कि धर्मेंद्र सिंह इंदौर से ही कारोबार करते हैं। पता चला है कि वे महीने में केवल एक-दो बार ही रायपुर आते हैं। कंपनी का ऑफिस पहले पंडरी में था। कुछ दिन पहले वहां का ऑफिस बंद कर देवेंद्रनगर में कार्यालय खोला गया है।
पैसे जमा करो और दोगुना पाओ का लुभावना झांसा
दस्तावेजों की जांच और शिकायत कर्ताओं से पूछताछ के बाद पता चला है कि एडीवी क्रेडिट लुभावने ऑफर देकर लोगों को जाल में फंसाती थी। कंपनी ने पूरे प्रदेश में कमीशन एजेंट नियुक्त किया है। प्रत्येक जिले में दो-दो एजेंट हैं। उन्हें एक ग्राहक लाने पर 20 प्रतिशत तक कमीशन दिया जाता था। कंपनी में 10 हजार से लेकर डेढ़ लाख का निवेश की स्कीम थी। पूरे प्रदेश में निवेशकों की संख्या पांच हजार से ज्यादा होने के संकेत हैं। अफसरों ने बताया कि दस्तावेज की जांच की जा रही है। निवेशकों की संख्या बढ़ने के आसार हैं। ऑफिस का कंप्यूटर जब्त कर उसका डेटा चेक किया जा रहा है।
सहकारिता की आड़ में गांव-गांव में ठगी
पुलिस अफसरों ने बताया कि कंपनी के एजेंट गांव-गांव में जाकर किसानों को झांसे में लेते थे। सहकारिता के नाम पर पैसा निवेश करवाते थे। पांच साल में दोगुना पैसा देने के साथ उन्नत बीज, खाद, कीटनाशक दवाई देने का झांसा देते थे। पैसा जमा करने पर उन्हें तुरंत कृषि प्रोडक्ट दिया जाता था। इसी तरह से कंपनी ने प्रदेश में किसानों को झांसे में लिया था। इसके अलावा कंपनी की तीन स्कीम थी। फिक्स, सेविंग और रिकरिंग।
फिक्स में पांच साल में दोगुना पैसा देने की स्कीम थी। सेविंग में छह माह और साल में पैसा जमा करना होता था। इसके अलावा रिकरिंग में हर माह पैसा जमा करने की स्कीम थी। दोनों में समय अवधि पर दोगुना पैसा वापस लौटाने का प्रावधान था। कंपनी ऐसी ही कई तरह की लुभावने स्कीम चला रही थी।
एजेंट फंसाते थे जाल में
कंपनी ने मोटे कमीशन पर अलग-अलग जिलों में एजेंट नियुक्त किए हैं। निवेशकों से इन्वेस्टमेंट करवाने का काम उन्हीं का था। एजेंट कंपनी की स्कीम को बढ़ा चढाकर लोगों के सामने बताते थे। कंपनी के दिशा निर्देशों के तहत वे ज्यादातर किसानों को फंसाते थे। उन्हें कहा जाता था कि जब उन्हें पैसों की जरूरत होगी, लोन भी दिया जाएगा। एजेंट पैसे वसूलकर रायपुर मुख्यालय लाते थे, यहां से पूरा पैसा कंपनी के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता था।
फार्मिंग का लाइसेंस, लेकिन धंधा चिटफंड का
पुलिस अफसरों ने बताया कि कंपनी ने फार्मिंग के नाम का लाइसेंस दिया है, लेकिन चिटफंड का कारोबार कर रही थी। कंपनी के आपरेटर ने कुछ दस्तावेजों को प्रस्तुत किया है। उनकी जांच की जा रही है हालांकि उनमें सामान्य फर्म एवं सोसायटी का रजिस्ट्रेशन पत्र भी शामिल है।
3 साल से फरार ग्रीन रे का छत्तीसगढ़ हेड गिरफ्तार
छत्तीसगढ़ में 300 करोड़ से ज्यादा की ठगी करने वाली ग्रीन रे इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का छत्तीसगढ़ हेड मंगलवार को पाटन से गिरफ्तार किया गया। आरोपी तीन साल से फरार था। आरोपी के पास से पैसे निवेश करवाने से संबंधित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं। पुलिस ने बताया कि पाटन निवासी हेमकृष्ण चंद्राकर ग्रीन रे इंटरनेशनल कंपनी का छत्तीसगढ़ हेड है। कंपनी का फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद गोलबाजार में एफआईआर की गई। उसी के बाद से वह फरार था।
हेमकृष्ण ने मोतीबाग के पास ग्रीन रे का दफ्तर खोला था। वह गोल्ड ट्रेडिंग का कारोबार किया जाता था। कंपनी के छत्तीसगढ़ में 20 हजार से ज्यादा निवेशक है। इस कंपनी पर पूरे देश में 500 करोड़ की ज्यादा की ठगी का आरोप है। कंपनी ने रायपुर के अलावा ओडिशा, दिल्ली,उत्तराखंड सहित कई राज्यों में अपना दफ्तर खोल रखा था। कंपनी का डायरेक्टर अय्युब शाह पहले गिरफ्तार हो चुका है। कंपनी के तीन अन्य डायरेक्टर मीर शहिरूद्दीन, मीर ताहिरुद्दीन और गोपाल चंद्र फरार है। प्रदेश के पांच थानों में एफआईआर की गई है। हेमकृष्ण को मंगलवार को कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने आरोपी को 14 दिन की न्यायिक रिमांड में जेल भेज दिया।