Chit fund company director gave it
Admin | 03 February, 2016 | 966 | 3980
![Chit fund company director gave it Chit fund company director gave it]()
दर्जनों लोगों से जमा कराए थे करीब ढाई करोड़, मैनेजर रायगढ़ से गिरफ्तार
अंबिकापुर - सरगुजा व रायगढ़ जिले में दर्जनों लोगों के लाखों रुपए का गबन करने वाली चिटफंड कंपनी टीसा एग्रो प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड के डायरेक्टर व एक मैनेजर को गिरफ्तार करने में पुलिस को सफलता मिली है। पुलिस ने डायरेक्टर को जहां पंश्चिम बंगाल के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र मेदनीपुर जिले के बेलियाबेड़ा क्षेत्र से गिरफ्तार किया वहीं मैनेजर को छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले से पकड़ा है। पुलिस दोनों आरोपियों को रविवार काे सुबह लेकर अंबिकापुर पहुंची। कंपनी ने दोनों जिले में करीब 2.40 करोड़ रुपए लोगों से जमा कराए थे और मेच्यूरिटी उपरांत जब रुपए वापस करने की बात आई तो आफिस से सामान समेटकर फरार हो गई। आरोपियों के पास से पुलिस को कंपनी के दस्तावतेज मिले हैं। मामले के दो आरोपी अभी फरार हैं।
कोतवाली में रविवार को मामले का खुलासा करते हुए सीएसपी जितेंद्र शुक्ल ने बताया कि टीसा एग्रो प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड द्वारा एक साल पहले गुदरी गली में किराए के एक भवन में कार्यालय खोलकर कारोबार शुरू किया गया था। इसी तरह का कार्यालय रायगढ़ में भी खोला गया था। कंपनी द्वारा एक साल में सरगुजा व रायगढ़ जिले में दर्जनों लोगों से करीब 2.40 करोड़ रुपए जमा कराए गए। कंपनी ने कम समय में ज्यादा ब्याज देने का प्रलोभन दिया था। कुछ ग्राहकों द्वारा समय पूरा हाेने पर पैसे वापस करने फार्म भरा गया लेकिन कंपनी ने ब्याज तो दूर डिपाजिट मनी भी वापस नहीं की। ग्राहकों ने नवंबर में इसकी शिकायत कलेक्टर से की। कलेक्टर के निर्देश पर कोतवाली में कंपनी के डायरेक्टर सौमित्र कुमार दास, मैनेजर तरूण डे निवासी मेदनीपुर, झारग्राम बेलियाबेड़ा पश्चिम बंगाल सहित चंदूलाल केसरवानी व तरूण मंडल के खिलाफ धारा 420, 34 व चिटफंड अधिनियम 1978 की धारा 5,6 के तहत अपराध दर्ज कर जांच शुरू की गई। इसी दौरान सभी आरोपी कंपनी बंद कर आफिस का पूरा सामान समेटकर फरार हो गए। पुलिस सभी को तलाश रही थी। इसी सौमित्र कुमार दास के मोबाइल का नेटवर्क पश्चिम बंगाल के झारग्राम में मिला। कोतवाली पुलिस व क्राइम ब्रांच की एक टीम स्थानीय पुलिस की मदद से सौमित्र कुमार दास को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने पूछताछ की तो तरूण डे के रायगढ़ में ही होने की जानकारी मिली। वही टीम फिर रायगढ़ पहुंची और सौमित्र की निशानदेही पर उसे भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
चंदूलाल केसरवानी व तरूण मंडल फरार हैं।
ग्राहकों से कराया जाता था खरगोश पालन
सीएसपी ने बताया कि कंपनी द्वारा ग्राहकों से मार्केटिंग व खरगोश पालन का काम कराया जाता था। कंपनी द्वारा दिल्ली से सर्फ मंगाकर ग्राहकों को बेचने के लिए दिया जाता था। इसी प्रकार खरगोश पालन के लिए हरियाणा से खरगोश के बच्चे मंगा कर ग्राहक्रों को दिया जाता था। जब खरगोश बड़े साइज के हो जाते थे, उसे वापस लेकर बेच दिया जाता था। इससे होने वाली आय का कुछ लाभांश ग्राहकों को दिया जाता था। इसी तरह यह अपना नेटवर्क बनाकर काम कर रहे थे।
कंपनी के दोनों एकाउंट में जीरो बैलेंस
कंपनी द्वारा रायगढ़ के आंध्रा बैंक व स्टेट बैंक आफ इंडिया में एक-एक एकाउंट खोला गया था। ग्राहकों का पैसा इसी एकाउंट में जमा किया जाता था। कंपनी ने कुछ ग्राहकों को इस बैंक का चेक दिया था जो बाद में एकाउंट में राशि नहीं होने के कारण बाउंस हो गया। जांच में पता चला कि दोनों एकाउंट से चेक जारी के करने से पहले ही पूरी राशि निकाल ली गई थी। अक्टूबर 2015 में ही 15 लाख रुपए का आहरण कंपनी ने किया था। इसके बाद सारे चेक जारी किए गए। दोनों एकाउंट में अक्टूबर से जीरो बैलेंस है। सीएसपी ने बताया कि कंपनी के और एकाउंट होने के बारे में पता किया जा रहा है।
अंबिकापुर - सरगुजा व रायगढ़ जिले में दर्जनों लोगों के लाखों रुपए का गबन करने वाली चिटफंड कंपनी टीसा एग्रो प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड के डायरेक्टर व एक मैनेजर को गिरफ्तार करने में पुलिस को सफलता मिली है। पुलिस ने डायरेक्टर को जहां पंश्चिम बंगाल के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र मेदनीपुर जिले के बेलियाबेड़ा क्षेत्र से गिरफ्तार किया वहीं मैनेजर को छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले से पकड़ा है। पुलिस दोनों आरोपियों को रविवार काे सुबह लेकर अंबिकापुर पहुंची। कंपनी ने दोनों जिले में करीब 2.40 करोड़ रुपए लोगों से जमा कराए थे और मेच्यूरिटी उपरांत जब रुपए वापस करने की बात आई तो आफिस से सामान समेटकर फरार हो गई। आरोपियों के पास से पुलिस को कंपनी के दस्तावतेज मिले हैं। मामले के दो आरोपी अभी फरार हैं।
कोतवाली में रविवार को मामले का खुलासा करते हुए सीएसपी जितेंद्र शुक्ल ने बताया कि टीसा एग्रो प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड द्वारा एक साल पहले गुदरी गली में किराए के एक भवन में कार्यालय खोलकर कारोबार शुरू किया गया था। इसी तरह का कार्यालय रायगढ़ में भी खोला गया था। कंपनी द्वारा एक साल में सरगुजा व रायगढ़ जिले में दर्जनों लोगों से करीब 2.40 करोड़ रुपए जमा कराए गए। कंपनी ने कम समय में ज्यादा ब्याज देने का प्रलोभन दिया था। कुछ ग्राहकों द्वारा समय पूरा हाेने पर पैसे वापस करने फार्म भरा गया लेकिन कंपनी ने ब्याज तो दूर डिपाजिट मनी भी वापस नहीं की। ग्राहकों ने नवंबर में इसकी शिकायत कलेक्टर से की। कलेक्टर के निर्देश पर कोतवाली में कंपनी के डायरेक्टर सौमित्र कुमार दास, मैनेजर तरूण डे निवासी मेदनीपुर, झारग्राम बेलियाबेड़ा पश्चिम बंगाल सहित चंदूलाल केसरवानी व तरूण मंडल के खिलाफ धारा 420, 34 व चिटफंड अधिनियम 1978 की धारा 5,6 के तहत अपराध दर्ज कर जांच शुरू की गई। इसी दौरान सभी आरोपी कंपनी बंद कर आफिस का पूरा सामान समेटकर फरार हो गए। पुलिस सभी को तलाश रही थी। इसी सौमित्र कुमार दास के मोबाइल का नेटवर्क पश्चिम बंगाल के झारग्राम में मिला। कोतवाली पुलिस व क्राइम ब्रांच की एक टीम स्थानीय पुलिस की मदद से सौमित्र कुमार दास को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने पूछताछ की तो तरूण डे के रायगढ़ में ही होने की जानकारी मिली। वही टीम फिर रायगढ़ पहुंची और सौमित्र की निशानदेही पर उसे भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
चंदूलाल केसरवानी व तरूण मंडल फरार हैं।
ग्राहकों से कराया जाता था खरगोश पालन
सीएसपी ने बताया कि कंपनी द्वारा ग्राहकों से मार्केटिंग व खरगोश पालन का काम कराया जाता था। कंपनी द्वारा दिल्ली से सर्फ मंगाकर ग्राहकों को बेचने के लिए दिया जाता था। इसी प्रकार खरगोश पालन के लिए हरियाणा से खरगोश के बच्चे मंगा कर ग्राहक्रों को दिया जाता था। जब खरगोश बड़े साइज के हो जाते थे, उसे वापस लेकर बेच दिया जाता था। इससे होने वाली आय का कुछ लाभांश ग्राहकों को दिया जाता था। इसी तरह यह अपना नेटवर्क बनाकर काम कर रहे थे।
कंपनी के दोनों एकाउंट में जीरो बैलेंस
कंपनी द्वारा रायगढ़ के आंध्रा बैंक व स्टेट बैंक आफ इंडिया में एक-एक एकाउंट खोला गया था। ग्राहकों का पैसा इसी एकाउंट में जमा किया जाता था। कंपनी ने कुछ ग्राहकों को इस बैंक का चेक दिया था जो बाद में एकाउंट में राशि नहीं होने के कारण बाउंस हो गया। जांच में पता चला कि दोनों एकाउंट से चेक जारी के करने से पहले ही पूरी राशि निकाल ली गई थी। अक्टूबर 2015 में ही 15 लाख रुपए का आहरण कंपनी ने किया था। इसके बाद सारे चेक जारी किए गए। दोनों एकाउंट में अक्टूबर से जीरो बैलेंस है। सीएसपी ने बताया कि कंपनी के और एकाउंट होने के बारे में पता किया जा रहा है।