रांची : चिटफंड कंपनियों द्वारा प्रदेश में 25 सौ करोड़ रुपये के घोटाले की चल रही सीबीआइ जांच में अब साक्ष्य मिलने शुरू हो गए हैं। चार कंपनियों जीएनटी ओवरसीज इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया लि., मंगलम एग्रो प्रोडक्ट्स लि., यूकिनोक्स लैंड प्रोजेक्ट इंडिया लि. और संकट इंवेस्टमेंट एंड मार्केटिंग लि. के 19 ठिकानों पर बुधवार से जारी सीबीआइ की पड़ताल गुरुवार को समाप्त हो गई। इसमें उक्त कंपनियों के शेयर और पैसे के बिल सहित कई दस्तावेज बरामद हुए हैं। इससे पता चला है कि आरबीआइ और सेबी से निबंधित नहीं होने के बाद भी इन कंपनियों के प्रतिनिधियों ने फर्जी शेयर सर्टिफिकेट जारी होने संबंधी पत्र ग्राहकों को दिखाकर चूना लगाया। इससे कई एजेंट और ग्राहक कंपनियों के झांसे में आ गए, जिन्होंने मोटी रकम कंपनी के हवाले कर दी। बुधवार को कंपनियों के ठिकानों से हार्ड डिस्क और स्कीम संबंधी दस्तावेज बरामद हुए थे। इसकी जांच अभी बाकी है। अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि उक्त कंपनियों ने कितने का घोटाला किया है। आगे की जांच में यह पता चलेगा।
मुख्यालय से पैसा आना बंद तो दफ्तर भी बंद
सीबीआइ को कंपनी के ठिकानों से आफिशियल पत्राचार के भी कई साक्ष्य मिले हैं। इससे यह पता चलता है कि ग्राहकों को राशि वापस करने के लिए स्थानीय दफ्तरों द्वारा उनके मुख्यालय को कई पत्र लिखे गए थे। शुरूआत में उक्त कंपनी ने घाटशिला और दहीजोड़ा स्थित कार्यालय में ग्राहकों को जमा पैसे के एवज में कुछ रिटर्न भी दिए ताकि लोगों में यह विश्वास जगे कि कंपनी असली है। बाद में मुख्यालय की ओर से पैसा देना बंद कर दिया गया। जब ग्राहकों का दबाव बढ़ा तो स्थानीय कर्मी परेशान हो गए। शिकायत पर स्थानीय प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए दफ्तर सील कर मामला दर्ज किया।