रायपुर - चिटफंड कंपनियों की संपत्ति कुर्क करने का मामला फाइलों में उलझता नजर आने लगा है। कलेक्टर कोर्ट में पहली पेशी होने के बाद सोमवार को कंपनियों और 22 एजेंटों ने वकीलों की ओर से अपने जवाब पेश कर दिए। ज्यादातर ने जवाब कि कंपनी में जिन लोगों ने भी रुपयों का निवेश किया है उनकी रकम तय समय सीमा के बाद वापस की जा रही है। कंपनी के कारोबार में कुछ परेशानी हुई थी इस वजह से निवेशकों के रुपए वापस करने में देर हुई। इस वजह से संपत्तियों को कुर्क करने के बजाय उन्हें समय दिया जाए जिससे वे लोगों के रुपए वापस कर सकें।
कंपनियों के प्रबंधकों की ओर से जवाब पेश करने के बाद अब जिला प्रशासन उनका परीक्षण करेगा। मंगलवार को फिर इस मामले में सुनवाई होगी।
यालको ग्रुप के डायरेक्टरों ने कोर्ट में किया सरेंडर
रायपुर समेत राज्य के कई शहरों में चिटफंड के नाम पर फ्रॉड करने के आरोप में फंसे यालको ग्रुप के फरार डायरेक्टर पति-प|ी ने सोमवार को राजनांदगांव कोर्ट में सरेंडर किया। दोनों छह माह से फरार थे। कंपनी की संपत्ति को राजसात करने की तैयारी थी। पुलिस का दांवा है कि कंपनी के डायरेक्टरों ने केवल रायपुर में ही 20 करोड़ से ज्यादा की ठगी की है। जल्द ही रायपुर पुलिस की टीम भी आरोपियों को गिरफ्तार करने जाएगी। पुलिस ने बताया कि डायरेक्टर प्रेमलाल देवांगन और प|ी ममता किरण दोनों ने कोर्ट में सरेंडर किया है। उनकी राजेंद्र नगर पुलिस तलाश कर रही थी।
कंपनी की एक अन्य डायरेक्टर निशा देवांगन पहले ही राजनांदगांव जेल में है। फरारी के दौरान दोनों ही आरोपी राजकोट, पोरबंदर, अहमदाबाद, नागपुर, द्वारिका, माउंटआबू और उदयपुर में छिपना बताया। आरोपियों ने पांच साल में दोगुना पैसा देने का झांसा देकर निवेश कराया था। जब पैसा देने का समय आया तो कंपनी ताला लगाकर भाग निकली।
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