चिटफंड कंपनियों के जाल से निवेशकों को बचाने के लिए लंबे समय बाद राज्य में नया कानून बनाया गया है। छत्तीसगढ़ के निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत अब निवेशकों को ठगी या जालसाजी में फांसने वाली कंपनियों पर कार्रवाई करने के व्यापक अधिकार कलेक्टर को दिए गए हैं। जिसमें निवेशकों के पैसे डकारने वाली नान बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों की संपत्तियां कुर्क करने सेे लेकर 5 लाख तक जुर्माना और 10 साल तक की कैद की सजा भी दी जा सकती है।
गली मोहल्लों में एक-एक कमरे में संचालित नान बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों और चिटफंड कंपनियों के खिलाफ लगातार आ रही शिकायतों के बाद शासन ने भी नया एक्ट लाया है। राज्य के सभी जिलों में निवेशकों को ज्यादा ब्याज का लालच देकर पैसे डकारने वाली चिटफंड कंपनियों एवं उनके संचालकों पर कार्रवाई करने के लिए छग में ना तो पुलिस के पास पर्याप्त कानून थे और ना ही ट्रेजरी आफिसर या स्माल सेंविंग आफिसर इसमें कोई मानिटरिंग कर पाते थे । जिससे लोगों की शिकायतें आने के बाद आफिस बंद कर भागने वाली कंपनियों को खोजने का सरकारी प्रयास शुरू हो जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि अब राज्य में छत्तीसगढ़ के निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2005 लागू हो गया है।
विधानसभा में पारित होेने के बाद साल 2012 से यह राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए अटका हुआ था और अब इसके लागू हो जाने के बाद प्रशासन को ऐसी कंपनियों पर दंडात्मक कार्रवाई करने के कई अधिकार मिल गए हैं।
प्रतिष्ठा इंफ्राकाम की जांच नहीं
प्रतिष्ठा इंफाक्राम कंपनी ने जिले में 60 से 70 करोड़ रुपए का कारोबार कर रातोरात पैकअप कर लिया। कंपनी के पेंशन बेनिफिट्स व रेगुलर डिपाजिट स्कीम में 24 प्रतिशत ब्याज के लालच में लैलूंगा, तमनार और धरमजयगढ़ क्षेत्र में सैकड़ों लोगों की रकम डूब गई लेकिन पुलिस या प्रशासन ने इसकी जांच नहीं की।
15 कंपनियों ने ठगे 23 करोड़
गृह मंत्रालय के मुताबिक राज्य में ऐसी 15 चिटफंड कंपनियों ने बीते 2 सालों में 1हजार 689 निवेशकों से 22 करोड़ 92 लाख रुपए ठगे हैं और इनमें 40 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया लेकिन रकम कितनी वापस हुई उसका कोई रिकार्ड नहीं है।
रायगढ़ में नहीं हुई एफआईआर
कंपनियों से ठगे जाने के बाद छग में ऐसे मामलों में पुलिस ने अब तक करीब 37 एफआइआर की है। रायगढ़ में काम करने वाली साईं प्रकाश पर भी धमतरी में कार्रवाई हुई थी लेकिन रायगढ़ जिले में पुलिस ने किसी भी कंपनी या एजेंट पर एक भी एफआईआर नहीं की है।
शासन ने दिया आदेश
डायरेक्ट्रोरेट फाइनेंस ने रायपुर में पिछले हफ्ते वित्त विभाग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों एवं सभी जिलों के एडीएम से लेकर एएसपी के साथ बैठक बुलाई थी। 6 नवबंर को आयोजित इस वर्कशाप में धोखाधड़ी करने वाली एनबीएफसी और चिटफंड कंपनियों को चेतावनी दी गई है और संपत्तियां कुर्क करने से लेकर सजा के प्रावधान के अधिकार के बारे में भी बताया गया है।
एक्ट में नया क्या
निवेशकों की जमा रकम नहीं लौटाई तो उस कम्पनी या उनके विभिन्न पदाधिकारियों की सम्पत्ति कलेक्टर द्वारा कुर्क की जा सकती है। कपटपूर्ण कार्य करने के दोष सिद्ध होने पर कंपनी पर 3 लाख से 5 लाख तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा और कंपनी के डायरेक्टर, से लेकर लोकल स्टाफ को 3 साल से लेकर अधिकतम 10 साल तक की कैद का भी प्रावधान है।