चिटफंड कंपनियां मोटे मुनाफे का झांसा देकर लोगों से करोड़ों वसूलकर भाग चुकी हैं। दफ्तर में ताला लगा है लेकिन पुलिस की जांच पूरी नहीं हुई। दो-दो साल पहले की गई शिकायतों पर अभी तक जांच चल रही है,जबकि चिटफंड कंपनी के संचालक अर्सा पहले भाग चुके हैं। पड़ताल में खुलासा हुआ है कि ज्यादातर मामलों में कंपनी के दफ्तर जब खुले थे और तभी शिकायत कर दी गई थी। पुलिस वालों ने तुरंत कार्रवाई नहीं की। जांच के नाम पर केस दर्ज करने में दो-दो साल लगा दिए इस बीच कंपनी बंद हो गई और संचालक फरार हो गए। शहर के आधा दर्जन थानों में अभी भी चिटफंड कंपनी के खिलाफ की गई शिकायतों की जांच चल रही है, जबकि कंपनी कई दिनों पहले यहां से भाग चुकी है। तेलीबांधा में संचालित संजीवनी चिटफंड कंपनी इसका ताजा उदाहरण है। कंपनी के खिलाफ पिछले साल शिकायत की गई थी।
पुलिस थाने से लोगों की शिकायत को जांच के लिए विशेष अनुसंधान सेल भेज दिया गया। सेल में अभी भी कंपनी की जांच चल रही है। उस मामले में अब तक केस भी दर्ज नहीं किया गया है जबकि कंपनी अर्सा पहले यहां से भाग चुकी है। दफ्तर में ताला लगा है। संचालकों और एजेंटों का कोई अता पता नहीं। कंपनी ने पांच साल में दोगुना पैसा देने का झांसा 20 करोड़ से ज्यादा की ठगी है।
27 कंपनी ने की 450 करोड़ की ठगी
पुलिस में की गई शिकायतों के अनुसार राजधानी के लोगों से अब तक 27 कंपनियां पिछले एक दशक में 450 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी कर चुकी है।
इसमें कई कंपनियों ने प्रॉपर्टी में करोड़ों इन्वेस्टमेंट किया है। पुलिस ने उनकी संपत्ति की पूरी जानकारी निकाल ली है। नए कानून में प्रशासन को अधिकार दिया गया है कि बंद हो चुकी फर्जी कंपनियों की संपत्ति को अदालत के निर्देश पर बेचकर मिली रकम निवेशकों को लौटाई जा सकती है।
जांच के लिए आला अफसर के नेतृत्व में बनाई टीम
शहर में जितनी चिटफंड कंपनी के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। उसकी जांच के लिए एडिशनल ग्रामीण के नेतृत्व में टीम बनाई गई है। जो सभी मामलों की जांच कर रही है। उनकी संपत्ति की पहचान की जा रही है। - बीएन मीणा, एसपी रायपुर
कब किस कंपनी पर कितने की ठगी का लगा आरोप
स्माइल एंड स्माई 2010 30 लाख
कल्चुरी इन्वेस्टमेंट 2010 3 करोड़
माई डाटा लिंक एशिया 2010 40 लाख
बीएनपी इंडिया लिमिडेट 2011 40 करोड़
स्पीक एशिया कंपनी 2011 30 करोड़
विजन केयर कंपनी 2011 60 लाख
रुचि रियल स्टेट कंपनी 2011 80 लाख
आर्या ग्रुप टूरिज्म कंपनी 2012 50 लाख
आस्था गोट फार्मिंग 2012 40 करोड़
एचबीएन कंपनी 2013 96 करोड़
ग्रीन रे इंटरनेशनल 2014 40 करोड़
माइक्रो फाइनेंस 2014 30 करोड़
साई प्रसाद कंपनी 2015 15 करोड़
सांई प्रकाश कंपनी 2015 10 करोड़
पीएसीएल कंपनी 2016 110 करोड़
यूवर लाइट रियल कॉन 2016 16 करोड़
एसपीएनजे कंपनी 2016 13 करोड़
फिचर गोल्ड कं 2016 8 करोड़
सन साइन इंफ्रा बिल्ड 2016 50 लाख
रायपुर रेंज आईजी ने बुधवार को एसपी समेत जिले के अाला अफसरों की बैठक ली। पूरे मामले की समीक्षा की और कंपनियों की संपत्ति की पहचान करने का निर्देश दिया है। कई कंपनियों की संपत्ति का सत्यापन शुरू हो गया है। इसके अलावा आईजी ने अन्य पेडिंग मामले की जानकारी ली। निगरानी और गुंडे बदमाशों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया है। मोहल्लों और बस्तियों में जाकर कम्युनिटी पुलिसिंग करने का निर्देश दिया है।
चिटफंड की संपत्ति का सत्यापन शुरू
पुलिस अब तक केस दर्ज करने के बाद आधा दर्जन कंपनियों की संपत्ति का पता नहीं कर पाई है। पहचान का प्रयास किया जा रहा है। यूवर लाइट रियल कॉन, पीएलसीएल, एसपीएनजे जैसी कंपनियों की छत्तीसगढ़ या दूसरे राज्य में कहीं कोई संपत्ति है या नहीं यह भी पता नहीं चल सका है। पुलिस ने राज्य के सभी जिलाें के प्रशासन को पत्र लिखकर कंपनी के संबंध में जानकारी मांगी है। पुलिस अफसरों के अनुसार संपत्ति की पहचान का प्रयास किया जा रहा है। एजेंट से लेकर निवेशकों से पूछताछ की जा रही है। दफ्तरों में जो दस्तावेज मिले है। उसकी भी जांच की जा रही है।
कई कंपनियों की संपत्ति की जांच
राजेन्द्र नगर थाने में यालस्को चिटफंड कंपनी की भी शिकायत पिछले साल से लंबित है। चिटफंड कंपनी के लुभावने ऑफर में फंसकर लोगों ने पैसा जमा किया। मुनाफे के साथ पैसा लौटाने की बारी आने पर कंपनी ने बहाने शुरू कर दिए। एक-दो बार चक्कर काटने के बाद पीड़ितों ने थाने में शिकायत की। पुलिस वालों ने जांच के बाद कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। कुछ दिनों के बाद कंपनी भाग गई। दफ्तर में ताला लगा दिया गया। पुलिस अब तक जांच ही कर रही है। इसी तरह जेएसबी इंडिया चिटफंड कंपनी के खिलाफ थाने में एफआईआर तो की गई लेकिन कंपनी के डायरेक्टर ने अपना दफ्तर बदल लिया। अब एक निजी मकान में दफ्तर चल रहा है। कंपनी संचालक को पकड़ने के लिए पुलिस ने दफ्तर में छापा मारा लेकिन केवल एक कंप्यूटर ही मिला। बाकी कोई दस्तावेज नहीं मिले। पुलिस ने इस खानापूर्ति के अलावा कुछ नहीं किया।