जगदलपुर: चिटफंड कंपनियों पर सरकार के प्रतिबंध तथा जांच एजेंसियों के दायरे में आई कंपनियों की तफ्तीश के बावजूद इस प्रकार के कंपनियों पर फर्क पड़ता नजर नहीं आ रहा है। चिटफंड कंपनी की मौसेरी बहन एक नयी कंपनी महानदी एडवाइजरी ने शहर में दस्तक दिया है। इसके कर्मचारी कप पढ़े-लिखे लोगों को शिकार बना रहे हैं।
शहर के लागू नर्सिंग होम के सामने खुली इस कंपनी के दफ्तर में आधे दर्जन कर्मचारी तैनात हैं। कर्मचारियों को खुद ही कंपनी की गतिविधियों का पता नहीं है लेकिन कंपनी को किस आधार पर सरकार से ट्रेडिंग की परमिशन है। दस्तावेज क्या-क्या हैं। इस बात को उन्हें अच्छी तरह से रटाया गया है।
मंगलवार को कंपनी के कर्मचारी को इस बात की जानकारी हुई कि एफसीआई के श्रमिक लखन के पास दस लाख रुपए हैं। वह फौरन लखन के पास पहुंचा और उस पर डोरे डालने शुरू कर दिए। उसे बताया गया कि वह कंपनी के पास यदि 10 लाख रुपए निवेश कर दे तो उसे प्रत्येक माह इसके एवज में एक लाख रुपए का ब्याज प्रदान किया जाएगा। वहीं एक साल में उसका रकम भी ड्योढा हो जाएगा। लोभ में आकर श्रमिक ने 10 लाख रुपए का एसबीआई के खाते सेल्फ चेक जारी कर दिया। कागजात मांगने पर उसे सादे कागज में लिखा पर्ची थमा दिया। इस बात की जानकारी जब लखन ने अपने दामाद को दी तो उसे शक हुआ। मंगलवार सुबह दस बजे से ही श्वसुर व दामाद एसबीआई मेन ब्रांच पहुंच गए। उन्होंने बैक प्रबंधक से मिलकर चेक रद्द करने का आग्रह किया। 11 बजे उक्त कंपनी का कर्मचारी चेक आहरित करने बैंक पहुंच गया। संयोगवश बैंक के सामने ही वह टकरा गए। इसके बाद चैक निरस्त होने की जानकारी होने पर महानदी कंपनी का कर्मचारी उनका ब्रेनवॉश करते नजर आया।
नईदुनिया ने जब कथित कंपनी के दफ्तर में जाकर पूछताछ की तो वहां मौजूद कर्मचारी हरेंद्र सेठिया ने बताया कि उनकी कंपनी का मुख्यालय बेंगलोर में है। नवंबर माह से कंपनी का दफ्तर यहां खुला है। कंपनी की गतिविधियों के बारे में सवाल करने पर वह संतोषप्रद जवाब नहीं दे सका। उसने अपने डायरेक्टर कुलेश्वर सोनकर से मोबाइल पर बात करवाई। सोनकर ने बताया कि कंपनी को सेबी ने ट्रेडिंग के लिए अनुमति दी है। यह एडवाइजरी कंपनी के रूप में काम करती है। कंपनी का शेयर ब्रोकर्स से अनुबंध हैं। वह निवेशकों के रकम उसमें जमा करवाती है। साथ ही पीएनबी, एसबीआई, एसडीएफसी बैंकों से लोन तथा म्यूचुअल फंड आदि में भी निवेश करवाती है। सोनकर से बिना रसीद रकम का चेक लेने के सवाल पर वह खामोश रहे।
उल्लेखनीय है कि कोतवाली पुलिस माइक्रोफाइनेंस तथा रोजवेली कंपनियों के खिलाफ हुए शिकायतों के आधार पर छानबीन कर रही है। अधिकांश कंपनियां ट्रेडिंग के नाम पर बैंकिंक कार्य कर प्रशासन को गुमराह कर रहे हैं। वहीं लोगों के जेबें काट रहे हैं।