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Chit fund companies are robbing the people, not the government recount

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रांची। लोगों की गाढ़ी कमाई लूटकर चंपत हो जाने वाली नन बैंकिंग और चिटफंड कंपनियों का ब्योरा राज्य सरकार के पास नहीं है। ये कंपनियां कितना माल लूटकर भागी, इसके लेखा-जोखा से भी सरकार अनजान है।



झारखंड में जमाकर्ताओं के हितों के संरक्षण अधिनियम (पीआइडी एक्ट) 2011 के तहत यह अनिवार्य किया गया है कि गैर बैंकिंग या चिटफंड का कारोबार करने वाली कंपनी रजिस्ट्रार ऑफ चिटफंड्स के पास अपना रजिस्ट्रेशन कराए लेकिन अब तक एक भी कंपनी ने ऐसा नहीं किया है। जबकि जिला स्तर पर ऐसी सैकड़ों कंपनियां अपना कारोबार कर निवेशकों को चूना लगा रहीं हैं। जिलों में दर्ज मामले इसकी पुष्टि कर रहे हैं।



264 कंपनियों ने फैला रखा है कारोबार



राज्य में 264 फर्जी कंपनियों ने अपना कारोबार फैला रखा है। भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड एवं वित्तीय प्रबंधन पर अनुशासन के लिए गठित विभिन्न स्रोत और जिलों में दर्ज मामले इसकी पुष्टि करते हैं। इनमें से 162 पर मामला भी दर्ज किया गया है। मजे की बात है कि जिला स्तर पर यह जानकारी मुहैया होने के बाद भी राज्य सरकार के स्तर से इन कंपनियों पर निबंधन के लिए अब तक दबाव नहीं बनाया गया है। अब तक राज्य में सिर्फ एकमात्र नन बैंकिंग कंपनी बेसिल इंटरनेशनल पर कार्रवाई करते हुए उसकी संपत्ति को अटैच करने का आदेश दिया गया है। धनबाद और उसके आसपास के क्षेत्रों में इस कंपनी ने अपना कारोबार फैला रखा था।



आरबीआई ने सिर्फ बीस कंपनियों को दी है अनुमति



रिजर्व बैंक ने राज्य में 20 नन बैंकिंग कंपनियों को कारोबार की अनुमति दे रखी है लेकिन इनमें से किसी भी कंपनी को निवेशकों से जमा राशि लेने का अधिकार नहीं है। ये कंपनियों बैंकों से महज एक या दो फीसद ज्यादा ब्याज दर पर सिर्फ ऋण मुहैया करा सकती हैं।



झारखंड में रजिस्टर्ड कंपनियों का ब्योरा



भारतीय रिजर्व बैंक : 20



हाउसिंग फायनेंस : 108



रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज : 78



भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड : 0



रजिस्ट्रार ऑफ चिटफंड : 0



बिना अनुमति जमाराशि लेने वाली कंपनियों के लिए है कड़ा कानून



झारखंड सरकार द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45 टी के अधीन 18 नवंबर 2013 को जारी अधिसूचना के तहत बिना अनुमति निवेशकों की राशि को जमा करने वाली कंपनियों पर कार्रवाई का प्रावधान है। ऐसे मामलों में आर्थिक अपराध शाखा भारतीय दंड संहिता की धारा 120 (आपराधिक षडयंत्र), 420 (धोखाधड़ी की मंशा) तथा 511 (ऐसे अपराध करने का प्रयास जिसमें आजीवन कारावास या कारावास का दंड हो) के अधीन मामला दर्ज किया जा सकता है।



फर्जी कंपनियों के खिलाफ चलेगी साझा मुहिम



हाल ही में मुख्य सचिव राजबाला वर्मा की अध्यक्षता में हुई राज्य स्तरीय समन्वय समिति की बैठक में फर्जी कंपनियों के खिलाफ साझा अभियान चलाने की सहमति बनीं है। नन बैंकिंग और चिट फंड कंपनियों का जिला स्तर पर डाटा एकत्र किया जाएगा और इस डाटा का सत्यापन रिजर्व बैंक, सेबी, रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज तथा राष्ट्रीय आवास बैंक से कराया जाएगा। प्रशासनिक और पुलिस तंत्र को भी विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी कि वह ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई कर सके।



सत्येंद्र सिंह, रजिस्ट्रार चिटफंड ने कहा कि भारत सरकार के निर्देश पर रजिस्ट्रार ऑफ चिटफंड के तहत चिटफंड कंपनियों को अपना रजिस्ट्रेशन करना है। लेकिन झारखंड में एक भी कंपनी ने इसके तहत अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। सरकार के स्तर से इन कंपनियों पर शिकंजा कसा जाएगा।


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  • 20 May, 2016
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