प्रोफेशनल लाइफ ही नहीं पर्सनल लाइफ के लिए भी अवकाश औषधि के समान है। कई शोधों में यह साबित हो चुका है कि जो लोग सप्ताह में एक दिन पूरी तरह कामकाज से खुद को मुक्त रखते हैं और जीवन का आनंद लेते हैं, उनमें बे्रन स्ट्रोक व हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है व वे लंबी आयु जीते हैं। आइए जानते हैं अवकाश लेने के फायदे...
शरीर को लाभ
एक चिकित्सकीय शोध का निष्कर्ष है कि जो अवकाश लेते हैं, उनके लिए हार्ट अटैक या ब्रेन स्ट्रोक का खतरा घट जाता है। अमरीका में हुई एक रिसर्च के अनुसार जो लोग दो हफ्तों तक बिना अवकाश लिए हुए लगातार काम करते हैं उनमें तनाव, गुस्सा, थकान और चिड़चिड़ेपन जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं, नतीजन उनका काम प्रभावित होने लगता है। विशेषज्ञो के अनुसार नियमित अवकाश लेने से फैमिली सपोर्ट बढ़ता है, ऎसे लोग ज्यादा एक्टिव होते हैं, जीवन और अपने पेशे से संतुष्ट होते हैं। इसके अलावा जो महिलाएं नियमित अवकाश लेती रहती हैं, वे खुश रहती हैं। इस दौरान जब उनके शरीर में एंडोर्फिन हार्माेन स्रावित होता है तो चिंता और तनाव जैसी समस्याएं उन्हें परेशान नहीं करतीं। व्यस्त होने, महत्वपूर्ण बनने की यह पहली शर्त है कि मौका मिलते ही आप रूटीन जिंदगी से बाहर निकलें यानी अवकाश को मिस न करें। सालाना अवकाश या वीकेंड को जिंदगी की मैराथन से बचाएं। इस दौरान ब्रेन को जब आराम मिलेगा तो वह रिफ्रेश होगा। अवकाश खर्च हो चुकी ऊर्जा को लौटाते हैं। अवकाश के बाद जब आप रूटीन जिंदगी में लौटते हैं तो खुद को ऊर्जावान पाते हैं।
स्रोत: आहार में फाइबर जरूरी है क्योंकि....
सेहत को खतरा
आपाधापी के ताजा दौर में "खास" बनने के लिए हम दिनभर भागदौड़ करते हैं। देर रात को सोते हैं, सुबह हड़बड़ाकर उठते हैं, दौड़ते-भागते दफ्तर पहुंचते हैं, वहां अव्वल रहने के लिए खूब मेहनत करते हैं और अवकाश नहीं लेते। इसी सोच ने कामकाजी लोगों को सेहत के पायदान पर पीछे कर दिया है। इसी वजह से आजकल लोग डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, माइग्रेन, तनाव जैसे रोगों का शिकार होने लगे हैं।
परस्पर जुड़ाव के लिए जरूरी
मनोचिकित्सक डॉ. अखिलेश जैन के अनुसार जब कोई भी व्यक्ति काम से कुछ दिनों के लिए या साप्ताहिक अवकाश लेता है तो इसका उस पर दो तरह से सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, सामाजिक और व्यक्तिगत। सामाजिक प्रभाव के मुताबिक छुट्टी के दौरान व्यक्तिउन लोगों से मिलता है जिनसे काफी दिनों से नहीं मिला होता। उनसे वह पुरानी बातें, सुख-दुख व नई चीजों को साझा करता है। इससे एक तो उसे मानसिक रूप से शांति मिलती है, दूसरा नई चीजों को जानने से उसके ज्ञान में वृद्धि होती है। व्यक्तिगत रूप से जब वह अपनो के साथ बैठता है तो उनकी तरक्की या दुखों को समझता है जिससे अपनत्व का भाव बढ़ता है और रिश्तो मे मजबूती आती है।
कामकाजी माता-पिता जब अपने बच्चों के साथ समय बिताते हैं तो उनमें सुरक्षा का भाव जागृत होता है और वे अभिभावको से खुलकर अपनी बातें कह पाते हैं। इसी तरह गृहिणियां जब कुछ दिनों के लिए अपने मायके या रिश्तेदार के घर जाती हैं तो उनका दिमाग संतुलित होता है, चिंताएं दूर होती हैं और वे नई ऊर्जा के साथ नए विचारों को सोच पाती हैं। अवकाश पर रहने से हम खुश रहते हैं जिससे दिमाग के कैमिकल्स अपने आप रिचार्ज हो जाते हैं। इस दौरान व्यक्ति विशेष को उन गतिविधियों में भाग लेना चाहिए जिससे सकारात्मक विचार आएं और मन प्रसन्न रहे।
घूमने जाएं
डॉक्टरों का मानना है कि जिंदगी की भागदौड़ से ब्रेक लेकर घूमने से आप मानसिक तौर पर रिलेक्स और स्ट्रॉन्ग फील करते हैं। ट्रेवलिंग से आपको रोज की जिम्मेदारियों से हटकर खुद के साथ समय बिताने का मौका मिलता है। साथी के साथ घूमने से संबंध मजबूत भी होते हैं क्योंकि आप गिले-शिकवों को भुलाकर एक दूसरे के साथ वक्त बिताते हैं।
ट्रेवलिंग से फिट
ट्रेवलिंग के दौरान पहाड़ों या खूबसूरत नजारों का लुत्फ लेने के लिए आप पैदल घूमते हैं। पहाड़ों पर चढ़ते-उतरते हैं, बीच पर लंबी वॉक करते हैं। इससे आपकी कैलोरी बर्न होती है और मांसपेशियां मजबूत होती हैं। घूमने के लिए आप नई चुनौतियों का सामना करते हैं जैसे कि नई जगह खोजना, नए लोगों से मिलना जिससे आपकी तर्क क्षमता बढ़ती है।
खुद की देखभाल
अगर छुियों में घूमने के लिए जाएं तो डॉक्टरी सलाह से दवाइयां साथ लेकर जाएं। ट्रेवलिंग के दौरान एकदम चिल्ड पानी पीने से बचें। डिहाइड्रेशन की समस्या से बचने के लिए नींबू पानी, नारियल पानी, छाछ आदि लेते रहें। अस्थमा के मरीज हिल स्टेशन आदि स्थानों पर जाते समय दवाएं और इन्हेलर लेकर जरूर जाएं।
गैजेट्स से दूरी
अवकाश का मौका कभी नहीं छोड़ें, लेकिन इस दौरान अपने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स घर पर ही छोड़ जाएं। इस अवकाश को पैदल भ्रमण, स्वीमिंग, साइकलिंग, पर्वतारोहण आदि से दिलचस्प बना सकते हैं। आप पाएंगे कि अवकाश से लौटने पर आप ज्यादा खुश रहने लगे हैं।