नई दिल्ली। आयकर विभाग ने एचएसबीसी जेनेवा बैंक सूची में सामने आए नामों में से 121 के खिलाफ अभियोजन मामले दर्ज किए हैं। इसके अलावा आयकर विभाग बीते वित्त वर्ष के आखिर तक 4800 करोड़ रुपए की अघोषित संपत्ति को कर के दायरे में लाया है।
सूत्रों ने बताया कि 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष 2014-15 से पहले दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, अहमदाबाद और गोवा की अदालतों में यह मामले दर्ज कराए गए हैं। इस बारे में एक रिपोर्ट काले धन की जांच के लिए बने विशेष जांच दल (एसआईटी) को भी भेजी गई है। यह दल अब सारे आंकड़ों को मिला रहा है, ताकि इस बारे में कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) 12 मई से पहले उच्चतम न्यायालय में पेश की जा सके।
सूत्रों ने कहा कि इन मामलों में जांच में पाया गया कि ये व्यक्ति या इकाइयां ‘जानबूझकर’ डिफॉल्टर रहे हैं और उन्होंने अपनी आय अवैध रूप से स्विस बैंकों में रखकर कथित रूप से उसे कर अधिकारियों से छुपाया। इसके बाद आयकर कानून के तहत कर चोरी के लिए शिकायतें दर्ज की गईं। सूत्रों ने कहा कि 31 मार्च की समयसीमा से पहले लगभग 121 मामले दर्ज किए गए क्योंकि इस समय सीमा के बाद विभाग इन मामलों में कानून कार्रवाई नहीं कर पाता। सूत्रों ने यह भी बताया कि उक्त विशेष मामलों में अब तक लगभग 4800 करोड़ रुपए के मामले पकड़े गए हैं।
आयकर विभाग उन 240 एचएसबीसी मामलों की जांच कर रहा है, जहां उसको संदेह है कि भारतीयों ने अवैध धन विदेशों में छुपाया है। आयकर विभाग ने पिछले साल 31 दिसंबर तक इनमें से 128 मामलों में आकलन पूरा कर लिया था। उल्लेखनीय है कि कुछ साल पहले एचएसबीसी ने जो सूची सौंपी थी उसमें 628 भातरीयों के नाम थे। इनमें से 200 लोग या इकाइयां प्रवासी भारतीय या गुमशुदा इकाइयां थीं। इसके बाद कर अधिकारियों के पास जांच के लिए 428 मामले ही बचे हैं।