नई दिल्ली। संकट से जूझ रहे सहारा समूह ने आज कहा कि अमेरिकी कंपनी मिराक कैपिटल ने उसे 2 अरब डॉलर की ऋण सहायता देने के मामले में बैंक ऑफ अमेरिका का ‘जाली पत्र’ देकर उसके साथ ‘धोखा’ किया है और वह उसके खिलाफ उपयुक्त कानूनी कार्रवाई करेगा।
सहारा समूह ने एक सख्त बयान में कहा, ‘हम मिराक कैपिटल ग्रुप (एमसीएच) और इस मामले में शामिल उसके अधिकारियों के खिलाफ भारत व अमेरिका में दीवानी व फौजदारी मामला दायर करने समेत हर उपयुक्त कानूनी कार्रवाई करेंगे।’ सहारा ने मिराक के व्यवहार को ‘गैर जिम्मेदाराना’ करार दिया है।
सहारा का यह बयान बैंक ऑफ अमेरिका के इस बयान के बाद आया है कि उसका सहारा और मिराक कैपिटल के सौदे से कोई लेना-देना नहीं है। मिराक कैपिटल भारतीय मूल के सारांश शर्मा की कंपनी है, जिसके बारे में सहारा के साथ सौदे की खबर से पहले लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं थी।
सहारा ने अपने प्रमुख सुब्रत राय की जमानत के लिए धन जुटाने की कोशिश के तहत इसके साथ सौदे का प्रस्ताव किया था।
सहारा ने कहा है कि उसे मिराक कैपिटल के साथ समझौते के बारे में पहली फरवरी को कुछ ‘चिंताजनक सूचनाएं’ मिली थीं। इसके बाद उसने अपने स्तर पर बाकायदा जांच शुरू की और बैंक ऑफ अमेरिका (बोफा) के पत्र की प्रमाणिकता की जांच की।
सहारा ने कहा है कि ‘इस सौदे पर ध्यान देने के कारण हम पिछले तीन चार महीने से किसी और पेशकश पर ध्यान नहीं दे पाए। हम अपने इस कठिन दौर में हैरान और ठगे महसूस कर रहे हैं। हम एमसीएच और इसके अधिकारियों के आचरण की कठोर शब्दों में निंदा करते हैं और स्पष्ट कहना चाहते हैं कि सहारा उन्हें नहीं बख्शेगा।’
मिराक कैपिटल को सहारा के इन आरोपों के संबंध में भेजे गए सवाल पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं मिल सकी। इससे पहले दिन में बैंक ऑफ अमेरिका का बयान सामने आने के बाद शर्मा ने कहा था कि मिराक ने इस सौदे के लिए एक बैंक को ‘मुकर्रर’ कर लिया है लेकिन उन्होंने बैंक ऑफ अमेरिका के मुद्दे पर कोई सीधा जवाब नहीं दिया था।
बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के प्रवक्ता ने कहा था, ‘हम किसी भी तरह से इस लेनदेन के साथ नहीं जुड़े हैं।’ सहारा ने कहा कि शर्मा ने दावा किया था कि उनके पास ‘अरबों डॉलर का धन है’ और उन्होंने सहारा समूह के साथ करार किया था।
शर्मा ने इस मामले में सहायता के लिए शुल्क के रूप में करोड़ों रुपए का भुगतान भी किया है। सहारा समूह को अपने प्रमुख राय को जमानत पर छुड़ाने के लिए धन की व्यवस्था करने की जरूरत है। राय करीब एक साल से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं।
सहारा ने कहा कि उसे लंदन में अपने वकील से एक रिपोर्ट मिली है जिसने बैंक (बोफा) की शाखा में जाकर पाया कि ‘वह पत्र जाली था।’
उच्चतम न्यायालय को दी गई जानकारी के अनुसार सौदे के तहत मिराक कैपिटल बैंक ऑफ अमेरिका में उसके एक खाते में रखे गए धन के जरिए लेनदेन करेगी जो कि इस धन को सहारा समूह की दो कंपनियों के खाते में स्थानांतरित करेगा।
मिराक कैपिटल के सीईओ शर्मा ने यह भी कहा कि वह सौदे को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। यहां तक कि उन्होंने सौदे को नुकसान पहुंचाने के उनके प्रतिद्धंदियों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की तरफ भी इशारा किया।
सूत्रों के अनुसार बैंक ऑफ अमेरिका को मीडिया की खबरों से पता चला कि न्यायालय को सौंपे दस्तावेज में उसका नाम बैंकर के तौर पर पेश किया जा रहा है। इसके बाद बैंक ने मामले में जरूरी छानबीन की जिससे सौदे में उसके नाम के संभावित दुरुपयोग का संकेत मिलता है।
इस तरह की बातें भी सामने आई हैं कि कुछ कंपनियां सहारा समूह की न्यूयॉर्क स्थित दो होटल संपत्तियों (दि प्लाजा और ड्रीम डाउनटाउन) और लंदन के एक होटल (ग्रोजवेनोर हाउस) को एकमुश्त सौदे में खरीदने की इच्छुक है।
हो सकता है कि वह मिराक के साथ सौदे को बिगाड़ना चाहते हों। मिराक के इस सौदे में मुख्य तौर पर सहारा द्वारा बैंक ऑफ चाइना से इन संपत्तियों पर लिए गए कर्ज को चीनी बैंक की जगह कर निवेशकों के एक नए समूह को हस्तांतरित करने का मामला है।
सहारा ने कहा था कि राय व उनके दो सहकर्मियों को छुड़वाने के लिए जमानत राशि की व्यवस्था के लिए मिराक के साथ वित्तीय समझौते किए हैं।
शर्मा ने इस बारे में यहां सेबी के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मुलाकात की थी और वे नौ जनवरी को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से उपस्थित थे। ‘एमसीएच ने जब बैंक आफ अमेरिका का पत्र पेश किया तो इस सौदे को उच्चतम न्यायालय की मंजूरी मिल गई।
इस पत्र के अनुसार एमसीएच ने इस सौदे के लिए बैंक ऑफ अमेरिका से पर्याप्त धन मिल गया है। सहारा ने कहा है, मिराक द्वारा आपराधिक जालसाजी के संबंध में हमने भी यह पाया कि बोफा का पत्र जाली था। इसलिए हमने पिछले सोमवार को अदालत को सूचित करते हुए हलफनामा दाखिल किया।