मनोज राणा, करनाल - दो हजार की नौकरी छोड़कर अपना बिजनेस शुरू किया और आज करीब दो लाख रुपये प्रति महीना कमा रहे हैं। बात कर रहे हैं फूसगढ़ के विकास नगर निवासी ओमप्रकाश की।
बकौल ओमप्रकाश गरीबी के कारण उन्होंने तीसरी में पढ़ाई छोड़ दी। बड़ा हुआ तो शहद बनाने वाली कंपनी में ड्राइवर की नौकरी करने लगा, लेकिन दो हजार में परिवार का गुजारा चलाना मुश्किल था। इसलिए नौकरी छोड़ दी। शहद की सप्लाई करते-करते मधुमक्खियां पालकर शहद बनाने की ठानी और पार्टनर उदयवीर सिंह के साथ अपना बिजनेस शुरू कर दिया। शुरुआत में करीब पांच लाख का शहद खरीदकर बेचना शुरू किया, लेकिन मन में शुद्धता को लेकर सवाल थे। इसलिए मधुमक्खियां पालकर शहद बनाना शुरू किया। विभाग की शहद की लैब में इसका टेस्ट कराया और यह पास हो गया। आज डिमांड अच्छी होने के कारण बढि़या आमदनी हो रही है। करनाल में एमएसएमई विकास संस्थान की ओर से आयोजित मेले में स्टाल लगाकर शहद बेच रहे ओमप्रकाश ने बताया कि पिछले दिनों उनकी कंपनी को नीलोखेड़ी में खादी ग्रामोद्योग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में अच्छी क्वालिटी के शहद के लिए सम्मानित भी किया गया था।
25 दिनों में तैयार होता है शहद
ओमप्रकाश व उनके पार्टनर उदयवीर ने बताया कि उनके पास मधुमक्खियों के करीब 300 बॉक्स हैं। 25 दिनों में एक बॉक्स में करीब साढ़े तीन किलो शहद निकलता है। इस तरह करीब 25 दिनों में उनके पास एक टन से ज्याद शहद हो जाता है। ओमप्रकाश ने बताया कि मधुमक्खियां जब छत्ते का सुराग बंद कर देती हैं तो कुल 25 दिनों में उससे अच्छा शहद प्राप्त किया जा सकता है। वह इंद्री हलके के गांव खानपुर के सुखबीर की शहद खरीदते हैं।
करते हैं सप्लाई
ओमप्रकाश बताते हैं कि अब पूरे प्रदेश में शहद की सप्लाई करते हैं। प्रभु की कृपा से आज तक कोई शिकायत नहीं आई है। एक बार जिसे शहद बेच दिया वह बार-बार डिमांड करता है। इसलिए कारोबार बढ़ता चला गया। शुरू में शहद की पैकिंग के लिए 3 मशीन खरीदी और अब खुद की पैकिंग करके शहद बेचते हैं। बारूद शहद के नाम से आज लोगों को उनका शहद मुहैया हो रहा है।
कई जगह जाकर बनाते हैं शहद
ओमप्रकाश बताते हैं कि उनके पास कई प्रकार का शहद है। मक्खी जिस प्रकार के फूलों पर बैठेंगी शहद भी वैसा ही होगा। इसके लिए मक्खियों को देश के विभिन्न हिस्सों में ले जाया जाता है। बादाम और अखरोट के फूलों से बने शहद के लिए मक्खियों को शिमला ले जाया जाता है। लीची के फूलों से बने शहद के लिए देहरादून, सफेदे के फूलों के शहद के लिए पीलीभीत, धनिया व सौंफ के लिए आसाम, सरसों के फूलों के शहद के लिए राजस्थान व सूरजमुखी के फूलों के लिए मक्खियों को करीब 25 दिन शाहबाद के एरिया में ले जाया जाता है।
सबसे महंगा बादाम व अखरोट
ओमप्रकाश ने बताया कि शहद के कई प्रकार हैं, लेकिन बादाम व अखरोट के फूलों से बना शहद सबसे महंगा है। यह करीब 450 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकता है। इसकी मेलों में ही ज्यादातर बिक्री होती है। इसके साथ ही लीची के फूलों से बना शहद भी इसके बराबर दाम का ही है। वैसे बाजार में आमतौर पर सफेदे के फूलों का शहद मिलता है। इसकी कीमत करीब 315 रुपये प्रति किलो होती है।
बंबई से आया दो टन का आर्डर
बकौल ओमप्रकाश शुरुआत में बिजनेस के दौरान कई दिक्कतें आई। पैसों की किल्लत कई बार आड़े आई, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। बाद में सब ठीक होता चला गया। ओमप्रकाश ने बताया कि उनके शहद की मिठास अब बंबई के लोग भी चखेंगे। कुछ दिन पहले की बंबई की एक कंपनी ने उनको दो टन शहद बनाने के लिए आर्डर दिया है। इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं। शहद को रिफाइंड करने में करीब 20 दिन लगेंगे।