रायपुर. पिछले डेढ़ दशक में राजधानी के लगभग 22 हजार से ज्यादा लोगों से 500 करोड़ रुपए के आसपास की ठगी करने वाली 20 चिटफंड कंपनियों की प्रापर्टी की पुलिस ने पहचान कर ली है। पुलिस ने शहर और आसपास फैली इन कंपनियों की प्रापर्टी को नीलाम करने की प्रकिया भी शुरू कर दी।
एसपी बीएन मीणा ने बताया कि लगभग सभी कंपनियों की प्रापर्टी की खरीदी-बिक्री पर रोक लगाने की चिट्ठी प्रशासन को लिख दी गई है। यही नहीं, इनमें से दर्जनभर कंपनियों की प्रापर्टी नीलाम करने की अनुमति देने का आग्रह पुलिस ने अदालत से किया है।
इसकी सूची बुधवार को कलेक्टर को भेज दी गई है। माना जा रहा है कि पूरी संपत्ति लगभग 100 करोड़ रुपए में नीलाम होगी। इससे धोखेबाजी की शिकार हुए लोगों को लगभग 20 फीसदी रकम वापस मिलने की संभावना है।
राजधानी पुलिस की विशेष टीम ने चिटफंड कंपनियों की संपत्ति की पहचान और नीलाम करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पुलिस अफसरों ने बताया कि कार्रवाई नए कानून के तहत की जा रही है। इसमें लोगों को पैसे लौटाना प्राथमिकता है।
विशेष टीम ने आधा दर्जन चिटफंड कंपनियों की रायपुर और उसके आसपास की प्रापर्टी की पहचान कर ली है। विशेष सेल के इंचार्ज एएसपी राकेश भट्ट के अनुसार सबसे ज्यादा प्रापर्टी एचबीएन कंपनी और माइक्रो फाइनेंस कंपनी की है।
एचबीएन की रिंग-1 डीडी नगर में प्राइम लोकेशन पर 3 एकड़ जमीन है जिसकी कीमत 35 करोड़ रुपए आंकी गई है। इसकी अनुमानित कीमत 50 करोड़ रुपए है। इसके अलावा माइक्रो फाइनेंस कंपनी के फरिश्ता कांप्लेक्स में दफ्तर और सेजबहार से लगे खिलौरा गांव की 40 एकड़ जमीन पहचानी गई है। इसकी कीमत 10 करोड़ रुपए से ज्यादा है। पुलिस ने दोनों की कंपनियों की प्रापर्टी की खरीदी-बिक्री रोकने के लिए कलेक्टर को पत्र लिख दिया है। पूरी प्रापर्टी राजसात करने की अनुशंसा की गई है।
4 कंपनियों की प्रापर्टी बेचने की कोशिश, घेरेगी पुलिस अफसरों ने बताया कि चार कंपनियों की प्रापर्टी के बारे में पता चला है कि इन्हें बेचने की कोशिश की जा रही है। कंपनियों के फरार संचालकों की तरफ से इन प्रापर्टी के कागजात बाजार में लाए गए हैं।
एएसपी भट्ट ने बताया कि जिन लोगों को ये कागजात उपलब्ध कराए गए, उनकी पहचान करने की कोशिश की जा रही है। जिनके पास संपत्ति के दस्तावेज मिलेंगे, उनसे पूछताछ होगी कि ये किन लोगों ने उपलब्ध करवाए हैं।
कलेक्टर ने कंपनियों की प्रॉपर्टी की खरीदी-बिक्री पर लगाई रोक
पुलिस अब तक एचबीएन, बीएनपी, माइक्रो फाइनेंस, पल्स ग्रुप, आस्था गोट फार्मिंग सहित छह कंपनियों की प्रॉपर्टी की खरीदी-बिक्री पर रोक के लिए कलेक्टर को पत्र लिख चुकी है।
कलेक्टर ने पत्र मिलते ही इन कंपनियों की प्रापर्टी खरीदने-बेचने पर रोक लगा दी है। यही नहीं, पुलिस ने न्यायालय से इन कंपनियों की प्रापर्टी नीलाम करने की अनुमति मांगी है तथा रजिस्ट्री विभाग को एलर्ट किया गया है कि दस्तावेजों का पंजीयन न करें।
प्रापर्टी की पहचान के लिए अफसरों की आपात बैठक
विशेष अनुसंधान सेल प्रभारी एएसपी भट्ट ने बुधवार को चिटफंड कंपनियों की जांच कर रहे सभी थानों के अफसरों की बैठक ली। बैठक में कार्रवाई पर प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगी गई।
बैठक में कहा गया कि जिन कंपनियों के खिलाफ चारसौबीसी के मामले दर्ज किए गए हैं, उनकी शहर और आसपास की प्रॉपर्टी की पहचान करने में तेजी लाएं तथा इन्हें राजसात कर नीलामी की प्रक्रिया तुरंत शुरु करवाएं।
प्रापर्टी के मामले में सख्ती करेंगे
जिन चिटफंड कंपनियों की राजधानी और आसपास प्रापर्टी है, उनकी खरीदी-बिक्री पर रोक तत्काल प्रभाव से लगवा दी गई है। कुछ कंपनियों की संपत्ति नीलाम करने के लिए अदालत और प्रशासन से अाग्रह कर दिया है। ठगी के शिकार लोगों ने नए कानून के तहत न्याय दिलाने की कोशिश है।
बीएन मीणा, एसपी रायपुर
ठगी और प्रापर्टी का अनुपात
पीएसीएल : 110 करोड़ की ठगी
यहां संपत्ति : कृष्णा कांप्लेक्स में डेढ़ करोड़ का ऑफिस। धमतरी, मनेंद्रगढ़ और रायगढ़ में जमीन।
एचबीएन : 96 करोड़ की ठगी
यहां संपत्ति : रिंग रोड-1, धमतरी, गरियाबंद तथा दिल्ली में प्रापर्टी, अनुमानित कीमत 85 करोड़ रु.।
बीएनपी इंडिया : 40 करोड़ रुपए की ठगी
यहां संपत्ति : अभनपुर के पास 30 एकड़ जमीन। इसके अलावा दूसरे शहरों में भी जमीन में निवेश।
आस्था गोट फार्मिंग : 40 करोड़ रुपए की ठगी
यहां संपत्ति : खरोरा के पास 15 एकड़ जमीन। कुछ और कस्बों में भी प्लाट रहने की सूचनाएं।
माइक्रो फाइनेंस : 30 करोड़ रुपए की ठगी
यहां संपत्ति : फरिश्ता कांप्लेक्स में दफ्तर, खिलौरा गांव में 10 करोड़ की लगभग 40 एकड़ जमीन।
ग्रीन रे कंपनी : 70 करोड़ रुपए की ठगी
यहां संपत्ति : अभी पता नहीं चला लेकिन ओडिशा में कंपनी ने जमीन पर काफी निवेश कर रखा है।
कलेक्टर ने कंपनियों की प्रॉपर्टी की खरीदी-बिक्री पर लगाई रोक
पुलिस अब तक एचबीएन, बीएनपी, माइक्रो फाइनेंस, पल्स ग्रुप, आस्था गोट फार्मिंग सहित छह कंपनियों की प्रॉपर्टी की खरीदी-बिक्री पर रोक के लिए कलेक्टर को पत्र लिख चुकी है।
विशेष अनुसंधान सेल प्रभारी एएसपी भट्ट ने बुधवार को चिटफंड कंपनियों की जांच कर रहे सभी थानों के अफसरों की बैठक ली। बैठक में कार्रवाई पर प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगी गई।
एचबीएन : 96 करोड़ की ठगी
यहां संपत्ति : रिंग रोड-1, धमतरी, गरियाबंद तथा दिल्ली में प्रापर्टी, अनुमानित कीमत 85 करोड़ रु.।
बीएनपी इंडिया : 40 करोड़ रुपए की ठगी
यहां संपत्ति : अभनपुर के पास 30 एकड़ जमीन। इसके अलावा दूसरे शहरों में भी जमीन में निवेश।
आस्था गोट फार्मिंग : 40 करोड़ रुपए की ठगी
यहां संपत्ति : खरोरा के पास 15 एकड़ जमीन। कुछ और कस्बों में भी प्लाट रहने की सूचनाएं।
माइक्रो फाइनेंस : 30 करोड़ रुपए की ठगी
यहां संपत्ति : फरिश्ता कांप्लेक्स में दफ्तर, खिलौरा गांव में 10 करोड़ की लगभग 40 एकड़ जमीन।
ग्रीन रे कंपनी : 70 करोड़ रुपए की ठगी
यहां संपत्ति : अभी पता नहीं चला लेकिन ओडिशा में कंपनी ने जमीन पर काफी निवेश कर रखा है।