नई दिल्ली। बाजार बदल रहे हैं। बाजार के तौर-तरीके बदल रहे हैं। धीमी आहट में बड़े परिवर्तन जब बाजार की चौखट पर दस्तक देते हैं, तो दूरदर्शी व्यापारियों की एक पौध जन्म लेती है और यही पौध उस उद्योग का बाजार में प्रतिनिधित्व करती है। डायरेक्ट सेलिंग उद्योग भी इसी धीमी आहट में 21वीं सदी की सबसे बड़ी क्रांति का रूप लेने जा रहा है।
इस उद्योग में विश्वसनीय आंकड़ों को जारी करने वाले दुनिया के सबसे बड़े संगठन वल्र्ड फेडरेशन ऑफ डायरेक्ट सेलिंग एसोसिएशन के अनुसार विश्व के 59 देशों में यह उद्योग 178 बिलियन डॉलर्स से ज्यादा का सालाना व्यापार कर रहा है और इस उद्योग का फिलहाल 9.6 करोड़ से ज्यादा लोग प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। यह आंकड़ा 2014 में 8.58 करोड़ का था।
एंटरपे्रन्योशिप का जरिया एमएलएम
डायरेक्ट सेलिग को बाजार नेटवर्क मार्केटिंग, मल्टीलेवल मार्केटिंग सरीखे कई नामों से जानता है, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि वैश्विक बाजार में इस उद्योग की मजबूत पकड़ आने वाले दौर में बाजार की पूरी गणित बदल कर रख देगी। 1930 की आर्थिक मंदी के दौर में अमेरिका से जन्मा यह उद्योग आज 85 सालों में अमेरिका के करोड़ों लोगों की आय का जरिया बन गया है। युनाईटेट स्टेट्स डायरेक्ट सेलिंग एसोसिएशन के नेशनल सेल्स फोर्स सर्वे - 2014 की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। इस रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में करीब 1.82 करोड़ लोगों की जिंदगी बदलने वाले इस व्यवसाय में गत वर्ष 8.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जो बाजार के हालात देखते हुए उम्दा है। साथ ही यहां मल्टीलेवल मार्केटिंग के जरिए करीब 1.4 करोड़ महिलाएं एंटरप्रेन्योर्शिप कर रही हैं और करीब 6 करोड़ लोग बार-बार अपनी घरेलू जरूरतें पूरी करने के लिए इस उद्योग का सहारा ले रहे हैं।
विश्व की कई बड़ी मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनियों के जन्मदाता अमेरिका में नासा के वैज्ञानिक, अंतरराष्ट्रीय बैंकों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष स्तर के अधिकारी, मोटे पैकेज की नौकरियों पर कम्प्यूटर कंसलटेंट्स, डॉक्टर्स और इंजीनियर्स की बड़ी तादाद ऐसी है, जो अपने व्यावसायिक अनुभवों और मोटे पैकेजों को छोड़कर इस उद्योग का रुख कर चुकी है।
पांच साल में 34 हजार करोड़ का बाजार
भारतीय बाजार में मल्टीलेवल मार्केटिंग की बढ़ती पकड़ इसे महज अगले पांच सालों में 34 हजार करोड़ से भी बड़ा बाजार बना देगी। इंडियन डायरेक्टस सेलिंग एसोसिएशन के अनुसार 2007 के बाद इस उद्योग में तेज बढ़त दर्ज की गई है, जिसके चलते 2020 तक यह उद्योग भारत में 34 हजार करोड़ का आकार ले लेगा और इसमें करोड़ों लोगों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।
सही के सरकार भी पक्ष में...
9 अप्रेल, 2003 को उपभोक्ता मामलात मंत्रालय के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की ओर से प्रधानमंत्री को भेजा गया जवाबी पत्र जिसमें मंत्रालय ने साफ स्वीकार किया है कि जो मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनियां भारत में उत्पादों की ब्रिकी पर आधारित हैं, वह प्राइस चिट एण्ड मनी सर्कुलेशन (बैनिंग) एक्ट 1978 के अंतर्गत नहीं आती।
भारत में मल्टीलेवल मार्केटिंग के नाम पर अवैध करोबार करने वालों पर सरकार ने बीते कुछ सालों में सख्ती बरती है, लेकिन वैध तरीके से इस उद्योग में सक्रिय कंपनियों को लेकर सरकार का हमेशा सकारात्मक रुख ही रहा है। इस संबंध में 2003 में ही उपभोक्ता मामलात मंत्रालय ने प्रधानमंत्री को लिखे जवाबी पत्र में स्पष्ट किया था कि उत्पादों की बिक्री पर आधारित मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनियां प्राइस चिट एण्ड मनी सर्कुलेशन (बैनिंग) एक्ट में नहीं आती हैं।
यह सूचना सभी प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भी भिजवाई गई थी। लेकिन बीते कुछ सालों में इस उद्योग में गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं द्वारा मनी रोटेशन (जिसमें उत्पाद नहीं होते और ग्राहकों से पैसा लेकर, पैसा बांटा जाता है) पर सरकार व भारतीय रिजर्व बैंक ने सखती बरती है। साथ ही साथ केरल सरकार द्वारा इस उद्योग को लेकर दिशा निर्देश जारी करने के बाद राजस्थान सरकार ने भी 5 अक्टूबर 2012 को इस उद्योग के संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर दिए।
बड़ी कंपनियों की पकड़
भारतीय बाजार में कई बड़ी कंपनियां हैं, जो इस क्षेत्र में अच्छे वर्चस्व के साथ लोगों को आगे बढ़ा रही हैं। इनमें एम्वे इंडिया (Amway), टपरवेयर (Tupperware), एम आई लाइफस्टाइल (Mi Lifestyle), डीएक्सएन (Daehsan), हर्बललाइफ (Herbalife), एवॉन (Avon), वेस्टीज (Vestige), एल्टॉस (Altos), ऑरिफ्लेम (Oriflame), थियांसी सरीखी (Tianjin Tianshi) कंपनियां अपने उत्पादों की शृंखला के साथ बाजार में दबदबा कायम किए हुए हैं। बीते 2 सालों में भारतीय डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों में ऑनलाइन शॉपिंग का ट्रेंड भी तेजी से बढ़ा है, जिसमें घरेलू सामग्री, कॉस्मेटिक्स, आयुर्वेद, वेलनेस, रसोई सामग्री, बर्तन, जूते, कपड़े इत्यादि भी बिकने लगे हैं। कंपनियां अब ऑनलाइन शॉपिंग के जरिए घर बैटे सामान पहुंचा रही हैं।
डायरेक्ट सेलिंग को संरक्षण जरूरी - रामविलास पासवान
डायरेक्ट सेलिंग उद्योग को लेकर अलग से कानून की मांग वाजिब है। इसे लेकर हम काम कर रहे हैं और जल्द ही अच्छे परिणाम सामने होंगे। बाजार में डायरेक्ट सेलिंग के नाम पर पिरामिड स्ट्रक्चर चलाने वाली कंपनियों की वजह से ग्राहकों को नुकसान हुआ है। ऐसी कंपनियों को लेकर सरकार सख्त है। - रामविलास पासवान, केन्द्रीय मंत्री, उपभोक्ता मामलात मंत्रालय (4 दिसम्बर 2014 को फिक्की के कार्यक्रम डायरेक्ट सेलिंग : ग्लोबल इंडस्ट्री - एम्पावरिंग मिलियंस इन इंडिया में बोलते हुए)।
अपार संभावनाओं का क्षेत्र है डायरेक्ट सेलिंग - अश्विनी कुमार
सूचना प्रौद्योगिकी और इस पर आधारित सेवाओं में रोजगार मुहैया करवाने तथा आगे बढऩे की जबरदस्त संभावनाएं हैं। डायरेक्ट सेलिंग भी इनमें से एक है। इसकी अपार संभावनाओं को हमें खोजना चाहिए। सरकार की पूरी कोशिश है कि ऐसी सेवाओं से देश में करीब 50 करोड़ लोगों को 2022 तक रोजगार मिले और डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। डायरेक्ट सेलिंग अपार संभावनाओं वाला रोजगारोन्मुखी खेत्र है। - अश्विनी कुमार, पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री, सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय व योजना विभाग (18 मार्च, 2011)।
उभरते बाजारों में लाभ ज्यादा
अंतरराष्ट्रीय आर्थिक समीक्षकों के अनुसार इस उद्योग में बीते पांच सालों में विकासशील बाजारों में अच्छी तेजी रही है। जिन देशों की अर्थव्यवस्था में विकास की गति तेज है, जिनकी आबादी ज्यादा है और जिनमें युवा वर्ग औसत से ज्यादा है, वहां यह उद्योग तेज गति से फल-फूल रहा है और बड़ी संख्या में लोगों को आंशिक व पूर्णकालिक रोजगार का जरिया बन रहा है। मल्टीलेवल मार्केटिंग में तेजी से उभरते बाजारों में भारत का अहम स्थान है। हालांकि यह उद्योग भारत में बीते करीब 18 सालों से है, लेकिन गत दो वर्षों में इस क्षेत्र में कानून बनने की प्रक्रियाएं शुरू होने से सुनहरे भविष्य की उम्मीदों को नई उड़ान मिली है।