18 chit fund companies On the charge sheet, Spiral arm structure On FIR soon
Admin | 18 March, 2016 | 953 | 3980
फर्जीवाड़े पर सख्ती. एसएलसीसी की बैठक में रणनीित पर हुई चर्चा
पटना: राज्य में फर्जी तरीके से काम कर रही नॉन बैंकिंग फाइनेंसिंग कंपनियों (एनबीएफसी) या चिट फंड कंपनियों पर कार्रवाई करने के लिए सरकार हर तरह से तैयारी कर चुकी है. अब तक 18 फर्जी चिट फंड कंपनियों पर चार्जशीट दायर हो चुका है, जबकि एेसी 98 फर्जी कंपनियों पर कार्रवाई की प्रक्रियाअंतिम चरण में है. इनके खिलाफ जांच जारी है और जल्द ही इन सभी पर एफआइआर दर्ज की जायेगी.
मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित राज्यस्तरीय समन्वय समिति (एसएलसीसी) की समीक्षा बैठक में ये बातें सामने आयीं बैठक में मुख्य रूप से राज्य में फर्जी चिट फंड कंपनियों पर कार्रवाई करने और वर्तमान में चल रही ऐसी सभी एनबीएफसी पर शिकंजा कसने की रणनीति पर चर्चा हुई.
बैठक में सरकार के अधिकारियों के अलावा सेबी, इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट एजेंसी ऑफ इंडिया, रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज और नेशनल हाउसिंग बैंक के अधिकारी भी मौजूद थे.
फर्जी एनबीएफसी से जुड़े केस की सुनवाई को प्रमंडलों में विशेष कोर्ट : राज्य में जिन 98 फर्जी एनबीएफसी के खिलाफ जांच चल रही है, उसकी रिपोर्ट आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) को जल्द सौंपने के लिए कहा गया है, ताकि इन पर चार्जशीट दर्ज किया जा सके. फर्जी एनबीएफसी से जुड़े मामलों की सुनवाई करने के लिए सभी प्रमंडलों में एक विशेष कोर्ट का गठन किया गया है, ताकि इन मामलों पर जल्द-से-जल्द सुनवाई हो सके. प्रत्येक तिमाही में इनसे जुड़े मुकदमों के निबटारे की समीक्षा होगी.
मुकदमे कितने पुराने हैं, इसके हिसाब से इन्हें श्रेणीवार बांट कर समीक्षा की जायेगी. राज्य में वर्ष 2011-12 से नॉन बैंिकंग कंपनियों द्वारा पैसे हड़पने के मामले सामने आने लगे थे. फर्जी एनबीएफसी के सबसे ज्यादा मामले सीमावर्ती जिलों के अलावा पटना और गया में हैं.
मार्केट इंटेलिजेंस का लिया जा रहा सहारा : फर्जी एनबीएफसी की जांच के लिए मार्केट इंटेलिजेंस का सहारा लिया जा रहा है. जिन जिलों में इस तरह की कंपनियां चल रही हैं, उनकी छानबीन के लिए स्पेशल ब्रांच और इओयू को लगाया गया है. इसके आधार पर मार्केट इंटेलिजेंस एकत्र किया जा रहा है.
इसके आधार पर वर्तमान में 10 एनबीएफसी रडार पर हैं, जिन पर कार्रवाई की जा सकती है. सभी जिलों के डीएम को इन कंपनियों की जांच कराने का आदेश दिया गया है. सभी जिलों में एक-एक एडीएम को बैंकिंग नियुक्त किया गया है. इसके लिए मुख्य सचिव जल्द ही सभी डीएम के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करने जा रहे हैं.
आवेदन करनेवाली एनबीएफसी की होगी खुफिया जांच : राज्य में अगर कोई एनबीएफसी अपनी शाखा खोलने के लिए रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी के पास आवेदन करती है, तो उसकी जांच इओयू और स्पेशल ब्रांच से भी करायी जायेगी.
रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी को इस तरह का आवेदन करने वाली किसी कंपनी की विस्तृत सूचना इओयू को भेजने के लिए कहा गया है.,ताकि यह पता चल सके कि यह कंपनी पहले कहीं ब्लैकलिस्टेड तो नहीं है. इसके निदेशक पर किसी तरह का आरोप तो नहीं है.
इन कंपनियों के शाखा में हुई छापेमारी
1. केयर विजन म्यूच्यूअल बेनिफिट लि.
2. सुराहा माइक्रो फाइनेंस
3. सन प्लांट एग्रो ग्रुप
4. प्रयाग इन्फोटेक हाइ राइज लि.
5. सांईं प्रसाद प्रोपर्टीज लि.
6. फेडरल एग्रो कॉमर्शियल लि
7. गुलशन निर्माण इंडिया लि.
8. तिरूबालाजी राइजिंग रियल स्टेट प्राइवेट लि
9. एलकेमिस्ट इन्फ्रा रियल्टी लि
10. धनोलटी डेपलपर्स लि
11. कोलकाता वियर इंडस्ट्री लि
12. संकल्प ग्रुप ऑफ कंपनीज
13. वियर्ड इन्फ्रा स्ट्रक्चर्ड कॉरपोरेशन लि
14. रूफर्स मार्केटिंग लि
15. सनसाइन ग्लोबल एग्रो लि
16. रमल इंडस्ट्रीज लि
17. इनॉरमस इंडस्ट्रीज लि
18. एक्सेला इन्फ्रा स्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट लि
19. गीतांजलि उद्योग लि
20. एमपीए एग्रो एनिमल्स प्रोजेक्ट्स लि
21. जुगांतर रियल्टी लि
22. एटीएम ग्रुप ऑफ कंपनीज
23. मातृभूमि मनुफैक्चरिंग एंड मार्केटिंग (आइ) लि
24. रोज वेली होटल्स एंड इंटरटेनमेंट लि
25. बर्द्धमान सन्मार्ग वेलफेयर सोसायटी
26. अपना परिवार एग्रो फॉर्मिंग डेवलपर्स लि. और
27. वारिस ग्रुप एंड अर्सदीप फाइनांस लि
नोट : इसके अलावा फर्जी नॉन बैंिकंग कंपनियां बना
कर पैसा जमा लेने के आरोप में कई लोगों पर मामला दर्ज किया गया है. इन कंपनियों के नाम आिर्थक अपराध इकाई को पता नहीं है.
फर्जी कंपनियों में डूबे पैसों की वापसी कोर्ट के फैसले पर निर्भर
बैठक में लिये गये अहम फैसलों के बारे में आरबीआइ के क्षेत्रीय निदेशक एमके वर्मा ने गुरुवार को रिजर्व बैंक के कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि जिन लोगों का पैसा इन फर्जी कंपनियों में डूबा है, इसकी वसूली से संबंधित कार्रवाई अदालत का अंतिम फैसला आने के बाद ही हो पायेगा. फैसला आने के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा कि डूबे हुए पैसे कैसे वापस निवेशकों को मिल सकेंगे.