खगड़िया - सूबे में दवा घोटाले की गूंज विधानसभा में लगातार उठती रही। लगातार प्रतिनिधि सीबीआई जांच की मांग करते रहे, मगर खगड़िया सदर अस्पताल में करोड़ों रूपये के दवा घोटाले की फाइल दबती जा रही है। 2008-09 में खगड़िया में भी करोड़ों रूपये के दवा घोटाले का खुलासा हुआ था। रिपोर्ट भी समर्पित किए गये, बावजूद आज तक कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति तक नहीं हुई। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो उक्त वित्तीय वर्ष में प्राप्त आवंटन के विरूद्ध बिना निविदा के ही कोटेशन प्राप्त कर स्थानीय क्रय समिति की अनुशंसा मात्र पर दवा की खरीद कर ली गई। हालात तो यह रहा कि बिना राज्य स्वास्थ्य समिति के अनुमोदित दर के ही दवाओं की खरीद दिखा दी गई। ऐसे दवाओं की भी खरीद की गई जिसकी मांग पत्र भी नहीं भेजी गयी थी। लेखा परीक्षक ने भी इस पर घोर आश्चर्य जताया है। निरीक्षण प्रतिवेदन संख्या 28, 10-11 के माध्यम से रिपोर्ट समर्पित की गई थी।
किस-किस एजेंसी से हुई थी खरीद
विभागीय सूत्रों की मानें तो मां वैष्णो इंटरप्राईजेज से 13 अलग-अलग आदेशों के जरिए एक करोड़ रूपये से अधिक की दवा खरीद दिखाई गई। इसी तरह साई ट्रेडर्स से सात अलग-अलग आदेशों के जरिए करीब 92 लाख के दवा की खरीद दिखाई गई है। इसके अलावा भी पायोनियर इंफोटेक, युनिक सर्जिकल वर्क्स से भी लाखों रुपये की दवा खरीद दिखाई गई है। सूत्रों की मानें तो इन एजेंसियों को रूपये का भुगतान भी कर दिया गया।
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डा. विजय कुमार सिन्हा का कहना है कि उनके योगदान से पहले क्या सब हुआ, हमसे नहीं पूछिए। हां, यह मामला काफी गंभीर है। जिनको कार्रवाई करना है। उनसे इस संदर्भ में पूछ लीजिए।