जिले में संचालित चिटफंड कंपनियों के खिलाफ जिला प्रशासन ने भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। प्रशासन ने 18 कंपनियों को नोटिस भेजकर दस्तावेज मांगे हैं। इसमें से सिर्फ 7 ने ही दस्तावेजों के साथ जवाब प्रस्तुत किया है। जिन कंपनियों ने जवाब नहीं दिया, उन्हें दोबारा नोटिस भेजा जा रहा है।
प्रशासन ने ये कार्रवाई राज्य शासन के आदेश बाद शुरू किया है। लगातार शिकायत मिल रही थी कि, चिटफंड कंपनी रुपए डबल करने का लालच देकर इन्वेस्टमेंट करा रही है। लोगों के रुपए लौटाए भी नहीं जा रहे हैं। इसे देखते हुए पुलिस प्रशासन ने जिले में चल रहे चिटफंड कंपनियों की सूची बनाई। पुलिस ने महीने भर पहले ही सूची प्रशासन को सौंपी है। कलेक्टर ने इस काम के लिए प्रशासनिक अफसरों की टीम बनाई है। जो इसे गंभीरता से लेते हुए कागजी कार्रवाई कर रहे हैं।
प्रॉपर्टी की जाएगी कुर्क
चिटफंड कंपनी एक्ट 2015 के मुताबिक जिन कंपनियों ने निवेशकों के रुपए नहीं लौटाए हैं। ऐसी कंपनियों की प्रॉपर्टी जिला प्रशासन कुर्क करके निवेशकों को लौटाएगा। राजनांदगांव में इस नए एक्ट का पालन भी हुआ।
भिलाई में हैं मुख्यालय
जिले में सबसे ज्यादा चिटफंड कंपनी भिलाई में है। हालही में यश ग्रुप ऑफ कंपनी का बड़ा उदाहरण सामने आया। इधर राजनांदगांव जिला प्रशासन ने यालको ग्रुप ऑफ कंपनी के 292 एकड़ जमीन को कुर्क की है।
शनिवार को राजनांदगांव जिला प्रशासन ने यालको ग्रुप की शाखाओं को सील किया। इधर भिलाई के कोसानगर में यालको की ब्रांच चल रही हैं।
पुलिस ने 18 चिटफंड कंपनियों की सूची सौंपी है। सभी को नोटिस जारी कर दस्तावेज मांगे हैं। अब तक 7 ने ही दस्तावेज सौंपे हैं। जिन्होंने जवाब नहीं दिया है। उन्हें दोबारा नोटिस जारी कर रहे हैं। दस्तावेज की छानबिन कर रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जाएगी। पीएल सहारा, जिला कोषालय अधिकारी व चिटफंड कंपनी प्रकरण निवारण के लिए नोडल ऑफिसर
जिन कंपनियों ने लोगों के रुपए नहीं लौटाए, उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। बाकी कंपनियों की जांच चल रही है। फिर भी अगर कोई चिटफंड कंपनी से ठगी के शिकार हुए हैं। वे संबंधित पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं। हम कार्रवाई करेंगे। राजेश अग्रवाल, एडिशनल एसपी, दुर्ग
ऐसे वापस मिलेगी निवेशकों की रकम
- चिटफंड एक्ट 2015 के धारा 1 में कलेक्टर को कार्रवाई करने का पूरा अधिकार दिया गया है।
- धारा 6 में कलेक्टर को ऐसी कंपनी के संपत्ति कुर्क करने या अभिरक्षा में रखने का अधिकार है।
- धारा-7 में कलेक्टर को संपत्ति सीधे या कोर्ट के जरिए नीलाम कर पैसे लौटाने का अधिकार है।
- पुलिस ऐसे फ्रॉड कंपनियों की संपत्ति की पहचान कर जिला प्रशासन को सूची सौंपती भेजती है।
- पैसा दिलाने के लिए पुलिस जिला प्रशासन को संपत्ति के नीलामी के लिए अनुशंसा भी करती है।
दुर्ग-भिलाई में भी चिटफंड कंपनियों की ठगी का शिकार हुए हैं लोग
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