Chitfund Open shops in the city of deception, The companies claim - Are to collect money, giving loans
Admin | 07 March, 2016 | 1158 | 3980
रायपुर.छत्तीसगढ़ सरकार ने चिटफंड कंपनियों का धोखा रोकने के लिए सख्त कानून भले ही लागू कर दिया हो, लेकिन राजधानी में ऐसी कंपनियां अब भी बेकाबू हैं। गली-मोहल्लों में चिटफंड कंपनियां अपने खुले-छिपे दफ्तरों में भीड़ लगाकर पैसे जमा करवा रही हैं या कर्ज बांटने का दावा कर रही हैं।
भास्कर ने ही शहर में ऐसी दो कंपनियों के दफ्तर खोज निकाले हैं, जो पुलिस के छापों के बाद कुछ दिन बंद रहे, फिर खुल गए और कारोबार शुरू हो गया। इन्हें मिलाकर आधा दर्जन चिटफंड कंपनियां शहर में सक्रिय हैं, लेकिन पुलिस और प्रशासन को इनकी भनक नहीं है। ये कंपनियां कई मोहल्लों में खामोशी से लोगों तक जाकर उन्हें लुभावनी स्कीम का झांसा दे रही हैं और पैसे जमा करने में लगी हैं।
चिटफंड कंपनियों पर सख्ती और रोक के दावों की हकीकत जानने के लिए दैनिक भास्कर टीम ने शहर में आउटर की कालोनियां और बस्तियां चुनीं, जो फिलहाल पुलिस और प्रशासन की पहुंच से कुछ दूर हैं। इन इलाकों में आधा दर्जन कंपनियों के कारोबार का खुलासा हुआ। इनमें से कुछ कंपनियों की हिस्ट्री चेक की गई तो पता चला कि इनके खिलाफ तो पुलिस छापेमारी तक कर चुकी है। इन कंपनियों के दफ्तर पहुंचे तो वहां मौजूद स्टाफ लेन-देन और लुभावनी स्कीमों की जानकारी देता रहा। समता कॉलोनी, अग्रसेन चौक, प्रियदर्शिनी नगर, अमलीडीह, न्यू राजेंद्र नगर और तेलीबांधा में इन कंपनियों के दफ्तर खुले मिले। प्रशासन और पुलिस को कोई जानकारी अब तक नहीं है।
खौफ नहीं या बात कुछ और प्रदेश सरकार ने चिटफंड कंपनियों के बढ़ते फर्जीवाड़े को गंभीरता से लेते हुए इसे रोकने के लिए तीन माह पहले सख्त कानून लागू किया है। राजधानी में पड़ताल के दौरान टीम ऐसी कंपनियों के जिन दफ्तरों में भी गई, कहीं भी इस कानून का खौफ नजर नहीं आया। जबकि नया अधिनियम साफ कहता है कि प्रशासन के अफसरों को बिना किसी शिकायत के कंपनियों की जांच करने का अधिकार है। यह भी पता चला कि इन दफ्तरों में अब तक प्रशासन या पुलिस जैसी एजेंसियां जांच के लिए नहीं पहुंचीं। कंपनी के लोगों ने ही माना कि उन्होंने तो अब तक कारोबार की सूचना किसी एजेंसी को नहीं दी है।
इसलिए करवाई पड़ताल
राजधानी में पिछले 10 साल में 68 चिटफंड कंपनियां लोगों के करोड़ों रुपए लेकर भाग गईं। सवा साल में ही 22 कंपनियों के खिलाफ रायपुर में केस दर्ज हुआ। इसे रोकने के लिए सख्त कानून बनाया गया। लेकिन यह भी चिटफंड धोखे को दबा नहीं सका है। दैनिक भास्कर टीम ने राजधानी में पड़ताल कर आधा दर्जन कंपनियां ढूंढ निकालीं, जो गली-मोहल्लों में दफ्तर खोलकर खुलेआम पैसे जमा करवा रही हैं। पेश है खास रपट:-
हम तो सिर्फ लोन देते हैं प्रशासन को नहीं बताया
समता कॉलोनी में कालड़ा नर्सिंग होम के पास एक कांप्लेक्स के तीसरे मामले पर जनलक्ष्मी फायनेंशियल कंपनी का दफ्तर है। बुधवार को दोपहर भास्कर टीम कंपनी दफ्तर पहुंची तो वहां महिलाओं का जमावड़ा था। कंपनी के जिम्मेदार लोग लोन लेने के लिए प्रेरित कर रहे थे। उनका कहना था कि वे लोगों से निवेश नहीं करवा रहे हैं, बल्कि बिना किसी गारंटी के लोन दे रहे हैं। कंपनी के मैनेजर नितिन सिंग ने बताया कि उन्होंने संबंधित थाने में वित्तीय लेन-देन की जानकारी दी है, लेकिन कलेक्टर-एसपी दफ्तर को सूचित नहीं किया। यहीं के एक हॉल में नगद कर्ज बांटा भी जा रहा था।
पुलिस जांच में बंद हुआ दफ्तर खुला, कारोबार भी
प्रियदर्शिनी नगर में यालस्को फायनेंस कंपनी ने भी लोगों को पैसे लौटाने से फिलहाल इंकार कर दिया है। भास्कर टीम को लोगों ने बताया कि ऐसे निवेशक जिनकी पॉलिसी मैच्योर हो गई है, उन्हें अभी पैसे नहीं दिए जाएंगे। सभी को बाद में आने के लिए कहा जा रहा था। इस आशय का नोटिस भी कंपनी के दफ्तर में लगा है। कंपनी के लोगों का बेखौफ तेवर भी चौंकाने वाला था, क्योंकि कुछ दिन पहले ही यह कंपनी पुलिस की जांच में फंस गई थी। कुछ दिन तक दफ्तर बंद था, लेकिन अब यह दोबारा खुल गया है। यहां क्या हो रहा है, इसकी जांच न तो पुलिस ने की और न ही प्रशासन ने।
पैसे ले लिए, देने की बारी आई तो नोटिस चस्पां -अभी नहीं देंगे
महावीर नगर में कुछ माह पहले जेएसबी रियल इंफ्रा इंडिया नाम की कंपनी पर छापा पड़ा था। भास्कर की खबर मिली कि इस कंपनी ने चुपचाप अमलीडीह में दफ्तर खोला है। टीम मारुति रेसीडेंसी के सामने किराए के मकान में चल रहे इस दफ्तर में पहुंची। दरवाजे पर ही नोटिस लगा था कि जिनकी एफडी मैच्योर हो गई, उन्हें अभी पैसे नहीं दिए जाएंगे। कब दिए जाएंगे, नोटिस में इसका जिक्र नहीं है। कंपनी के इस दफ्तर में एक कंप्यूटर ऑपरेटर ही बैठा मिला। लोगों ने बताया कि यहां से सामान धीरे-धीरे शिफ्ट हो रहा है। आपरेटर का कहना था कि ब्रांच मैनेजर ही कुछ बता सकते हैं।
यहां भी खुला खेल
पड़ताल में भास्कर टीम को आधा दर्जन इलाकों में चिटफंड कंपनियों के धड़ल्ले से चल रहे कारोबार की सूचना मिली। अग्रसेन चौक के पास स्थित एक निजी कांप्लेक्स में रोज वैली नाम की एक कंपनी में लोग रोजाना निवेश करने पहुंच रहे हैं। इसके अलावा न्यू राजेंद्रनगर, तेलीबांधा, गुढ़ियारी और माना में भी लोगों ने बताया कि एक-दो कंपनियां सक्रिय हैं, जो लोगों खासकर महिलाओं से पैसे जमा करवा रही हैं।
इनकी जांच अधूरी
पुलिस छह महीने पहले हुई शिकायत के बाद भी अब तक आधा दर्जन चिटफंड कंपनियों की जांच पूरी नहीं कर पाई है। जिन कंपनियों को जांच के दायरे में रखा गया है, उनमें संजीवनी फायनेंस, यालस्को ग्रुप ऑफ कंपनी, जीएन गोल्ड, ग्रीन वैली, रोज वैली, बीएन गोल्ड, अनमोल इंडिया फायनेंस आदि शामिल हैं। पुलिस अफसरों ने कहा कि इन कंपनियों के संबंध में शिकायतें मिलने के बाद जांच शुरू की गई थी।
इन बातों का रखें ध्यान
इतना ब्याज ही संदिग्ध
रिजर्व बैंक (आरबीआई)) अधिनियम 1934, प्राइज चिट एंड मनी सर्कुलेशन बैनिंग स्कीम एक्ट और चिटफंड अधिनियम (1982) के तहत फर्जी कंपनियों पर राज्य सरकार और जिला प्रशासन की ओर से कलेक्टर को कार्रवाई का अधिकार है। कोई भी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) जमा राशि पर 12.50 प्रतिशत से ज्यादा ब्याज नहीं दे सकती।
यहां करें शिकायत
शहर में अब भी कई चिटफंड कंपनियां चल रही हैं। भुगतान का समय होने के बाद भी कंपनियां पैसा नहीं लौटा रही है तो आरबीआई की गाइड लाइन के अनुसार इसकी सीधी शिकायत कलेक्टर और एसपी से की जा सकती है। ऐसी कंपनियों के खिलाफ कलेक्टर तत्काल कार्रवाई कर सकते हैं। कंपनी को सील करने के साथ ही उसकी संपत्ति जब्त कर सकते हैं।
ये कहता है रिजर्व बैंक
- लॉटरी-पुरस्कारों में सहभागिता धन-प्रेषण विदेशी मुद्रा प्रबंध एक्ट 1999 के अंतर्गत निषिद्ध है।
- विदेशों में जीती गई रकम को भी बिना किसी वैधानिक मान्यता के भारत नहीं लाया जा सकता है।
- आरबीआई व्यक्ति, कंपनी, न्यासों के खाते या संवितरण के लिए विदेशी निधियां नहीं रखता है।
- कोई भी गैर वित्तीय बैंकिंग कंपनी जमा राशि पर 12.50 प्रतिशत से ज्यादा ब्याज नहीं दे सकती।
- निवेश करने से पहले रजिस्टर्ड कंपनियों की जानकारी आरबीआई की वेबसाइट पर मिल सकती है।
तुरंत कार्रवाई होगी : कलेक्टर
- कोई भी कंपनी बैंकों की तरह वित्तीय लेन-देन करती है तो उसे प्रशासन को पूर्व सूचना देनी ही होगी। जांच के बाद ही कारोबार की अनुमति दी जाएगी। जिन्होंने ऐसा नहीं किया, उनपर तुरंत कार्रवाई करेंगे। - ठाकुर राम सिंह, कलेक्टर
- जिन कंपनियों की शिकायतें मिल रही हैं, जांच के बाद एफआईआर कर रहे हैं। जो भी नियम के खिलाफ काम करेगा, एफआईआर कर ली जाएगी। लोग भी समय पर ऐसी कंपनियों की सूचना जरूर दें। - राकेश भट्ट, एएसपी विशेष अनुसंधान सेल