Chit fund companies to take direct action now

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बोकारो : पुलिस अब सीधे नॉन बैं¨कग कंपनियों के प्रबंधक एवं अभिकर्ताओं को पकड़कर उन पर कार्रवाई करेगी। इस आशय का निर्देश जिलास्तर पर जारी कर दिया गया। राज्य की मुख्य सचिव ने एक सप्ताह के अंदर ऐसी सभी कंपनियों के दफ्तर बंद कराने एवं निवेशकों का पैसा लौटाने की व्यवस्था करने का निर्देश जिले के उपायुक्तों को दिया था।



इस आदेश के आलोक में उपायुक्त राय महिमापत रे ने एसपी के पर्यवेक्षण में सभी थानेदारों को आवश्यक कार्रवाई का निर्देश जारी किया है। जारी आदेश में कहा कि गया है कि थानेदार यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके क्षेत्र में किसी भी नॉन बैं¨कग कंपनी का दफ्तर तो काम नहीं कर रहा है। यदि है तो उसे तत्काल बंद कराते हुए उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें।



सेवानिवृत्त कर्मियों ने सबसे अधिक किया निवेश : ज्यादातर कंपनियों का दफ्तर चास, जैनामोड़, फुसरो एवं चंदनकियारी में था। सूत्रों का कहना है कि अकेले बेसिल ने बोकारो से करीब सौ करोड़ रुपये की उगाही की। इसका कार्यालय जैनामोड़ में था। उसमें ज्यादातर सीसीएल एवं बीएसएल के सेवानिवृत्त कर्मियों ने निवेश किया था। इसके बाद कोलकाता वेयर ने चंदनकियारी में दफ्तर खोलकर यहां भी बीसीसीएल एवं अन्य सेवाओं से सेवानिवृत्त कर्मियों को चूना लगाया। इसके बावजूद जिला प्रशासन अभी तक एक भी नॉन बैं¨कग पर सीधी कार्रवाई नही कर सका। तत्कालीन उपायुक्त उमाशंकर ¨सह ने इसके लिए प्रयास भी किया लेकिन उसका परिणाम नहीं निकल सका। अब भी कई कंपनियों का करोबार चल रहा है।



इन कंपनियों ने लगाई चपत : बोकारो में वर्ष 2010 से अब तक करीब दो दर्जन कंपनियों ने अपना करोबार बंद कर दिया। उनमें बेसिल, कोलकाता वेयर, आईकोर, शारदा ग्रुप ऑफ कंपनी, रोजवैली, विश्वामित्र इंडिया परिवार, अर्जेल ग्रुप आफ कंपनी, म्यूचुअल बेनिफिट कॉरपोरेशन, गोल्डन परिवार कंपनी, रिमेल इंडस्ट्रीज लिमिटेड, वेलफेयर, एआरएल, वेलफेयर ग्रुप ऑफ कंपनीज, शारदा प्लेजर एंड एडवेंचर लिमिटेड, शारदा म्यूचुअल बेनिफिट निधि लिमिटेड, इंडस वेयर इंडस्ट्रीज लिमिटेड इंफोकेयर, बीजी लैंड डेवलपमेंट कारपोरेशन, गोल्डन फॉरेस्ट सहित अन्य कंपनियां शामिल हैं।



बेवकूफ बना रहे अभिकर्ता : आम लोगों के साथ अपने संबंधियों का पैसा निवेश करानेवाले अभिकर्ता अब भी निवेशकों को वेवकूफ बनाने से नहीं चूक रहे हैं। गलत सूचना देकर पैसा वापस कराने की बात कह रहे हैं जबकि सच्चाई है कि एक भी ऐसी कंपनी नहीं है जिसके प्रतिनिधि पैसा देने के लिए तैयार हों।



क्या कहते निवेशक : चास निवासी प्रकाश साव का कहना है कि उसने स्वयं और अपनी पत्नी के नाम से दो लाख रुपये से अधिक का निवेश बेसिल में किया। कंपनी के अभिकर्ताओं ने रकम वापसी का वादा किया। जब पैसा निकालने का समय आया तो कंपनी भाग गई। अब किसी तरह व्यवसाय चल रहा है।



चास निवासी बनमाली गोराई का कहना है कि रोजवैली नामक कंपनी ने उन्हें लूट लिया। बचा हुआ सारा पैसा जो बैंक में रखा था वह भी उसी में जमा कर दिया, लेकिन कंपनी लेकर भाग गई। अब अभिकर्ता सीधे जवाब भी नहीं दे रहा है। पैसा की तंगी के कारण कोई काम नहीं कर पा रहे हैं।



''मुख्य सचिव के निर्देश पर जिले में चल रही नॉन बैं¨कग कंपनियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया गया है। एसपी के पर्यवेक्षण में संबंधित क्षेत्र के थानेदार उन पर कानूनी कार्रवाई करेंगे।



- रॉय महिमापत रे, उपायुक्त, बोकारो




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  • 29 June, 2016
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