रायपुर/ भोपाल - देशभर में फैले सारदा ग्रुप ऑफ कंपनी के चिटफंड कारोबार की जांच में बुधवार को मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में 21 जगहों पर छापे मारे गए। सीबीआई की टीम ने मध्यप्रदेश के 20 ठिकानों पर अचानक दबिश दी और वहां से दस्तावेज खंगालकर ले गए, जबकि इसी जांच के दौरान सीबीआई को रायपुर में भी एक संबंधित शख्स का पता चला और कुछ ही देर में टीम के सदस्य लालगंगा स्थित एक दफ्तर में पहुंच गए। वहां से एक व्यक्ति से पूछताछ की गई और बाद में टीम रवाना हो गई।
सारदा चिट फंड घोटाले के तार मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ में भी फैले हुए हैं। ओडिशा से लगे राज्य के कई जिलों में उसके एजेंट काम कर चुके हैं। हालांकि इस संबंध में किसी भी तरह की कोई कानूनी शिकायत कभी नहीं हुई, लेकिन जैसे ही मामले में सीबीआई जांच शुरू हुई, तो इसकी जांच कई राज्यों तक फैल गई। दो साल में पैसा दोगुना करने का लालच देकर हजारों करोड़ के घोटाले में फंसी कंपनी का पश्चिम बंगाल एवं ओड़िशा के बाद पहली बार मप्र और छत्तीसगढ़ में नेटवर्क का पता चला।
भुवनेश्वर से आई सीबीआई टीम ने मप्र में 20 एवं रायपुर में एक निजी दफ्तर पर छापा मारकर दस्तावेज जब्त किए हैं। लालगंगा में सीबीआई ने एक व्यक्ति से पूछताछ की। उसे उसी के दफ्तर में कुछ देर के लिए डिटेन किया गया और पूछताछ कर सीबीआई की टीम वापस रवाना हो गई। रायपुर में सारदा कंपनी के किसी दफ्तर की पुष्टि नहीं हुई है। ऐसा माना जा रहा है कि कंपनी यहां सीधे एजेंट के जरिए काम करवाती रही। हालांकि इसका खुलासा आगे जांच में किया जा सकता है। इस कंपनी ने देशभर में अरबों रुपए के चिटफंड कारोबार से लाखों लोगों को अपना शिकार बनाया है। कंपनी के एक डाइरेक्टर ने पहले सरेंडर भी किया था, जिसके बाद से इस मामले में कोलकाता और भुवनेश्वर सीबीआई की टीम जांच कर रही है।
डेढ़ साल से लगातार चल रही है जांच
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पिछले डेढ़ साल से सीबीआई मामले की छानबीन में जुटी है। घोटाले के तार भोपाल एवं आसपास के जिलों से जुड़े होने पर सीबीआई की टीम ने मंगलवार को भोपाल के अलावा ग्वालियर, सीहोर, राजगढ़, आष्टा एवं शाजापुर में छापा मारकर बड़ी संख्या में दस्तावेज एवं अन्य साक्ष्य जब्त किए। भोपाल में इस कंपनी से जुड़े अभिषेक सिंह का नाम सामने आया है। जांच अफसरों ने राजधानी के एमपी नगर जोन 2, गुलमोहर, जवाहर चौक, भरतनगर एवं पलाश परिसर सहित 5 ठिकानों पर दिनभर छानबीन की।
करोड़ों रुपए समेट कर भागे
सीबीआई सूत्रों का कहना है कि सारदा चिटफंड से जुड़े हाई प्रोफाइल लोगों ने निर्मला इन्फ्राहोम कार्पोरेशन लिमिटेड (एनआईसीएल) के जरिए छोटी-छोटी कंपनियां बनाकर निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की। इन कंपनियों ने कृषि, हाउसिंग, रियल इस्टेट एवं फिल्म निर्माण में निवेश के नाम पर मध्यमवर्गीय परिवारों से करोड़ों रुपए जमा कराए। शुरुआत में कुछ लोगों को पैसा दोगुने करके लौटाए भी, लेकिन डेढ़ साल बाद सारा पैसा समेट कर फरार हो गए। जांच अधिकारियों ने बताया कि पैसा दोगुना करने का लालच देकर एजेंट्स को कमीशन के नाम पर करीब 35 फीसदी रकम बांटी जा रही थी।
शिकंजे में रसूखदार
छापे की कार्रवाई में भोपाल, जबलपुर एवं रायपुर के सीबीआई अफसरों को भी लगाया गया था। इस चर्चित घोटाले में सीबीआई अनेक रसूखदारों को दबोच चुकी है। पश्चिम बंगाल में सीबीआई इस घोटाले में वहां के परिवहन मंत्री मदन मित्रा, सांसद संजय बोस और कुनाल घोष को गिरफ्तार कर चुकी है। पूर्व डीजीपी रजत मजूमदार एवं मुकुल राय से भी पूछताछ की जा चुकी है।
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