श्रीगंगानगर - चिटफंड कंपनी पल्र्स पीएसीएल के खिलाफ उपभोक्ता न्यायालय में शिकायतों का अंबार लग गया है। देर सवेर अपनी पूंजी को लुटते देख परिवादी न्यायालय में पहुंचने लगे हैं। न्यायालय की ओर से करीब दो माह पूर्व कंपनी के खिलाफ दिए गए निर्णय के बाद अन्य उपभोक्ताओं ने भी न्याय की गुहार लगाई है। इधर, न्यायालय ने क्रमबद्ध तरीके से मामले दर्ज कर सुनवाई आरंभ कर दी गई है। इससे आने वाले दिनों में कंपनी पर बड़े स्तर पर मामले सामने आने की संभावना जताई गई है।



चिटफंड कंपनी पल्र्स पीएसीएल के प्रबंधक निदेशक और श्रीगंगानगर शाखा प्रबंधक पर करोड़ों रुपए के गबन के आरोप लगाते हुए उपभोक्ता न्यायालय में परिवाद दाखिल हुए हैं। न्यायालय में 71 उपभोक्ताओं ने परिवाद पेश किए हैं। इनमें से सात परिवादियों की ओर से दिए गए परिवाद को स्वीकार करते हुए मामला दर्ज हो गया है और सुुनवाई शुरू होने जा रही है। सभी अपील करने वाले परिवादियों ने कंपनी के दिल्ली स्थित प्रधान कार्यालय के प्रबंधक निदेशक और श्रीगंगानगर में लक्कड़ मंडी स्थित शाखा कार्यालय के प्रबंधक को आरोपी बनाया गया है।



इनके परिवाद पर सुनवाई शुरू



हनुमाननगर निवासी सुंदरराम पुत्र जुम्माराम, ततारसर निवासी श्यामलाल पुत्र मनीराम, इंद्रसेन पुत्र पृथ्वीराम, इंद्रसेन पुत्र पृथ्वीराम, इंद्रादेवी पत्नी रामप्रताप, भागीरथ पुत्र रामकरण सरस्वा, हनुमानप्रसाद पुत्र रजीराम कुम्हार, कृष्णराम पुत्र कुंभाराम की ओर से दिए गए परिवाद पर उपभोक्ता न्यायालय ने सुनवाई आरंभ कर दी है।



इंतजार में पत्थरा रही आंखें



न्यायालय में पहुंच रहे चिटफंड कंपनी पल्र्स पीएसीएल के उपभोक्ताओंं के लाखों रुपए कंपनी में फंसे हुए हैं। सभी उपभोक्ताओं की ओर से कंपनी के पास जमा कराई गई पूंजी की योजनाएं परिपक्व हुए एक से पौने दो साल का समय हो गया है। इसके बावजूद कंपनी की ओर से आगे से आगे भुगतान के लिए समय दिया जा रहा है। आखिरकार अपनी खून पसीने की गाढ़ी कमाई को डूबते देख पीडि़त लोग न्यायालय पहुंच रहे हैं।



अगस्त में दिए निर्णय से जगी आस



उपभोक्ता न्यायालय के न्यायाधीश बृजमोहन गुप्ता ने 12 अगस्त को कंपनी के खिलाफ निर्णय सुनाते हुए सात उपभोक्ताओं को राहत प्रदान की थी। सूरतगढ़ के चक आठ एसएचडीपी निवासी देवचंद्र कस्वां, कृष्णादेवी पत्नी मांगीलाल सैन, मेजरसिंह पुत्र उजागरसिंह, शांतिदेवी पत्नी रामजीलाल टाक, रेशमादेवी पत्नी गोपीराम, नशीबकौर पत्नी गुरबक्शसिंह और 11 एसएचडीपी निवासी धन्नाराम पुत्र हनुमानराम ने पल्र्स पीएसीएल प्राइवेट लिमिटेड को पचास-पचास हजार रुपए के फिक्स डिपोजिट स्कीम में 25 जुलाई 2007 को सात वर्षीय योजना में जमा करवाए थे। यह रकम 25 अप्रेल 2014 को परिपक्व होकर प्रत्येक एफडीआर में एक लाख 14 हजार 35 रुपए हो गई। कंपनी ने उक्त परिपक्वता रकम को लौटाने से टालमटोल करते हुए मना कर दिया था। सभी उपभोक्ताओं ने उपभोक्ता न्यायालय में 20 मार्च 2015 को परिवाद दायर किया था। न्यायालयय ने उक्त परिवाद कंपनी प्रबंध निदेशक को परिपक्वता रकम के साथ नौ प्रतिशत चक्रवर्ती ब्याज का भुगतान करने के आदेश दिए थे। इस निर्णय के बाद कंपनी के पास रुपए जमा करवाकर फंसे लोगों को उम्मीद जगी और न्यायालय में परिवाद आने लगे।



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