रायपुर - नगरीय निकाय क्षेत्रों में संपत्तिकर में 50 फीसदी वृद्धि व प्रदेश में चिटफंड कम्पनियों द्वारा धोखाधड़ी का मामला शुक्रवार को विधानसभा में कांगे्रस-भाजपा के सदस्यों ने उठाया। नगरीय निकाय मंत्री अमर अग्रवाल के जवाब से कांगे्रसी सदस्य संतुष्ट नहीं हुए। संपत्तिकर में की गई वृद्धि वापस लेने पर जोर देते रहे। मंत्री ने वृद्धि वापस लेने से इंकार कर दिया, लिहाजा विरोध स्वरूप कांगे्रसी सदस्य बहिर्गमन कर गए। इधर चिटफंड मामले में कम्पनी संचालकों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सदन में सत्तापक्ष व विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। भूपेश बघेल द्वारा मुख्यमंत्री के खिलाफ की गई टिप्पणी से मंत्री राजेश मूणत भड़क गए। विपक्ष द्वारा मामले की जांच विधानसभा की समिति से कराए जाने की माग की गई। इसके बाद नारेबाजी करते हुए कांगे्रसी सदस्यों ने वाक आउट कर दिया। संपत्तिकर में 50 प्रतिशत वृद्धि को लेकर आज प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों ने विधानसभा में मंत्री अमर अग्रवाल को जमकर घेरा। इस मामले में नेता प्रतिपक्ष ने आधे घंटे की चर्चा कराने का आग्रह अध्यक्ष से किया। इसके पूर्व यह मामला उठाते हुए कांगे्रस के भूपेश बघेल ने कहा- शासन ने आदेश जारी कर दिया है। जिन निकायों की आर्थिक स्थिति ठीक है, वहां भी 50 प्रतिशत संपत्तिकर में वृद्धि की गई है। उन्होंने तुमगांव का उदाहरण देते हुए कहा- झोपड़ी वालों को भी 20-20 हजार रुपए संपत्तिकर लगाए गए हैं। उन्होंने कहा- कलेक्टर दर व प्रचलित दर में काफी अंतर है। वृद्धि को लेकर जनता से आपत्ति मंगाई गई थी। इसका निराकरण भी नहीं किया गया। राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने इसको वापस लेने घोषणा की थी। नगरीय निकाय मंत्री अमर अग्रवाल ने अपने बयान में बताया कि संपत्तिकर निर्धारण वार्षिक भाड़ा मूल्य पर वसूल किया जाता है। नियम का पालन नहीं किया जा रहा था, जिसके कारण शासन को आदेश जारी करना पड़ा। इसके लिए बीच का रास्ता निकालते हुए 50 फीसदी संपत्तिकर बढ़ाया गया। अन्यथा यह वृद्धि कई गुना होती। उन्होंने बताया कि निकायों की आर्थिक हालत ठीक नहीं, उनके कर्मचारियों को वेतन देने शासन को 200 करोड़ देना पड़ा। श्री अग्रवाल ने दो टूक शब्दों में कहा- नागरिक जो सम्पत्ति कर जमा कर रहे हैं, उस पर केवल 50 फीसदी वृद्धि लागू है। नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने आसंदी से आग्रह किया कि यह काफी गंभीर विषय है। इसके लिए आधे घंटेकी चर्चा अलग से कराई जाए। भूपेश बघेल ने कहा- निकायों में सभी वर्ग के लोग रहते हैं। इसलिए सीधे 50 फीसदी वृद्धि उचित नहीं है। यदि अधिकारियों ने लंबे समय से संपत्तिकर नहीं बढ़ाया तो इसकी सजा जनता को क्यों दी जा रही है। उन्होंने आग्रह किया, इस वृद्धि को वापस लिया जाए। मंत्री की ओर से कोई जवाब नहीं दिए जाने पर संपत्तिकर में वृद्धि वापस लेने की मांग को लेकर नारेबाजी करते हुए विपक्ष ने वाक आउट कर दिया।
इधर चिटफंड कम्पनियों द्वारा की गई धोखाधड़ी मामले में पुलिस कार्रवाई पर सवालिया निशान लगाते हुए सत्तापक्ष के देवजी पटेल ने सरकार को घेरा। उन्होंने कहा 3 अरब 49 करोड़ से अधिक की राशि के गबन का मामला है। विधानसभा में यह मामला 2010 से उठ रहा है। लेकिन प्रभावितों को राशि नहीं मिल पा रही है। शिकायतकर्ताओं पर ही उल्टे कार्रवाई की जा रही है। देवजी के प्रश्न के जवाब में गृहमंत्री अजय चन्द्राकर ने बताया, 79 कम्पनियों पर कार्रवाई की गई है। 105 मामले की विवेचना की जा रही है। 153 एजेंट व 52 कम्पनी पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया पुराने नियम में चिटफंड कम्पनियों की राशि जब्त करने का अधिकार नहीं था। इसके लिए नया कानून बनाया गया है, जिसमें कलेक्टर को राशि जब्त करने का अधिकार है। यह विधेयक राज्यपाल के पास लंबित है। अनुमति मिलने के बाद निवेश की राशि वापस दिलाने में सक्षम हो जाएंगे।
श्री चन्द्राकर ने आश्वासन दिया कि किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। इस मामले में यदि कोई निर्दोष है, तो उसका परीक्षण करांएगे। देवजी ने कहा- चिटफंड कम्पनियों का हश्र भी कहीं डालफिन स्कूल की तरह नहीं हो जाए। शिवरतन शर्मा ने कहा निवेशक 10 दिन से धरने पर बैठे हैं, उन्हें बुलाकर चर्चा की जाए। गृहमंत्री ने इसके लिए शिवरतन शर्मा को अधिकृत करते हुए कहा- शनिवार को सुबह 10.30 बजे चर्चा के लिए भेज दें।