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भोलाराम सिन्हा, रायपुर। छत्तीसगढ़ में चिटफंड का जाल फैलाकर निवेशकों को ठगने और लूटने वालों की अब खैर नहीं। राज्य सरकार ने दस साल पहले चिटफंड पर रोक लगाने की जो कोशिश की थी, उसे अब सफलता मिल गई है। चिटफंड व गैर-बैंकिंग कंपनियों की गैर-कानूनी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के इरादे से विधानसभा में पारित 'छत्तीसगढ़ के निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2005' को राज्यपाल व राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है।



इसके साथ ही प्रदेश में चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कड़ा कानून लागू हो गया है। इसके तहत अब धोखाधड़ी करने वालों को तीन से लेकर दस साल तक की कैद और दस लाख रुपए तक जुर्माना किया जा सकता है। वित्त विभाग ने शुक्रवार को इस अधिनियम के क्रियान्वयन के लिए नियम भी जारी कर दिए हैं।



आधिकारिक जानकारी के मुताबिक चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए वर्ष 2005 में छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित इस विधेयक को राज्यपाल द्वारा पुनर्विचार के लिए लौटाए जाने पर इसे जुलाई 2012 में दोबारा विधानसभा में मूलरूप में पारित किया गया था। इस विधेयक के लागू होने से अब प्रदेश में आम लोगों के साथ पैसों की धोखाधड़ी व ठगी करने वाली चिटफंड व गैर-बैंकिंग कंपनियों पर कार्रवाई की जा सकेगी।



इस अधिनियम के तहत प्रदेश में कार्यरत वित्तीय कंपनियों को अपनी गतिविधियों, दस्तावेजों और जमाकर्ताओं से जमा कराई गई राशि की पूरी जानकारी संबंधित जिले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को दो महीने के भीतर उपलब्ध करानी होगी।



इस कानून के तहत कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को लोगों से पैसे जमा कराकर भागने या धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों और उसके संचालकों के बैंक खाते तथा संपत्ति सीज करने का अधिकार रहेगा। इस कानून से धोखाधड़ी के मामलों में पीड़ितों को उनकी जमा राशि वापस दिलाने में पुलिस व प्रशासन को काफी मदद मिलेगी।



वित्त विभाग ने जारी किए ये नियम



वित्त विभाग ने अधिनियम के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए नियम जारी कर दिए हैं। राज्य सरकार ने गैर-बैंकिंग कंपनियों के खिलाफ दर्ज मामलों में तेजी से और कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। रिजर्व बैंक को सभी अधिसूचित वित्तीय कंपनियों की जानकारी पुलिस महानिदेशक, सीआईडी, कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को उपलब्ध कराने कहा गया है।



फर्जी कंपनियों की जांच और उनकी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए रिजर्व बैंक, सेबी, कंपनी रजिस्ट्रार और सीआईडी मिलकर काम करेंगे। साथ ही इन कंपनियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय लेनदेन, उसके नियमन और जांच से जुड़ी सभी सूचनाओं और जानकारियों का आपस में आदान-प्रदान भी करेंगे।



यह है प्रावधान



- गड़बड़ी करने वाली कंपनियों के खिलाफ सजा और जुर्माने का प्रावधान।



- ऐसी कंपनियों की संपत्तियों की कुर्की करने का भी प्रावधान।



- गड़बड़ी करने वाले आरोपी को अग्रिम जमानत भी नहीं।



- ऐसे मामले निपटाने के लिए विशेष न्यायालय का प्रावधान है।



- विशेष न्यायालय के आदेश के विरूद्ध कोई भी अपील 30 दिन के भीतर हाई कोर्ट होगी।



- महाराष्ट्र और तमिलनाडु में भी इस तरह का कानून है।



राष्ट्रपति ने लौटा दिया था विधेयक



छत्तीसगढ़ के निक्षेपकों के हितों का संरक्षण विधेयक-2005 को छत्तीसगढ़ विधानसभा में 23 दिसंबर 2005 को पारित किया गया था। इसे मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेजा गया था। राज्यपाल इसे राष्ट्रपति को भेजा था। तब राष्ट्रपति ने यह कहते हुए विधेयक वापस कर दिया था कि इसमें शामिल कंपनी अथवा कंपनियों से संबंधित संदर्भों को हटाया जाए, क्योंकि चूक करने वाली कंपनियों के खिलाफ सजा के लिए कंपनी अधिनियम में पहले से ही प्रावधान है। राष्ट्रपति के सुझावों को खारिज करते हुए जुलाई 2012 में इस विधेयक को मूल स्वरूप में फिर से छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित किया गया।



चिटफंड कंपनियों के खिलाफ 124 प्रकरण दर्ज



गृह विभाग के आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में पिछले पांच वर्षों में फर्जी गैर-बैकिंग संस्थाओं द्वारा धोखाधड़ी करने के 124 मामले दर्ज किए गए हैं। इन मामलों में सैकड़ों करोड़ रुपए की ठगी हो चुकी है। 104 प्रकरणों में चालान न्यायालय में पेश किया गया है। वहीं, 332 व्यक्तियों के खिलाफ भी चालान न्यायालय में पेश किया गया है। इन मामलों में 234 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के पास जांच के लिए 17 मामले लंबित हैं।



'चिटफंड कंपनियों पर अंकुश लगाने के लिए छत्तीसगढ़ के निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम के उपबंधों के क्रियान्वयन के लिए नियम जारी कर दिए गए हैं। धोखाधड़ी करने वाली गैर-वित्तीय कंपनियों की संपत्ति की अंतरिम कुर्कीकरने के लिए जिला मजिस्ट्रेटों को सक्षम प्राधिकारी घोषित किया गया है। इन मामलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय के गठन का प्रस्ताव उच्च न्यायालय को भेजा गया है। ऐसे मामलों में पुलिस भी आईपीसी के तहत कार्रवाई कर सकेगी।'



अमित अग्रवाल, सचिव, वित्त विभाग



'प्रदेश में चिटफंड कंपनियों की गैर-कानूनी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए छत्तीसगढ़ के निक्षपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2005 को राज्यपाल व राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है। राजपत्र में प्रकाशन के साथ यह अधिनियम लागू हो गया है।' - एके सामंतरे, प्रमुख सचिव, विधि एवं विधायी कार्य विभाग



See Also: प्रदेश में लगा चिटफंड घोटालों का पैसा: माकपा


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  • 22 September, 2015
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