कौशाम्बी - पिपरी और एसओजी की संयुक्त टीम ने बुधवार को असरावलखुर्द गांव से संचालित चिंटफंड कंपनी का भंडाफोड़ किया। मौके से पुलिस ने तीन युवकों को लाखों की नगदी के साथ गिरफ्तार किया। पकड़े गए गिरोह के सदस्य बेरोजगारों को तीस हजार में मेंबर बनाकर चेन सिस्टम से ठगी कर रहे थे। गिरोह का सरगना पुलिस की गिरफ्त से दूर है। सरगना की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की टीम जिले के अलावा फतेहपुर और इलाहाबाद में छापेमारी कर रही है।
पिपरी थानाक्षेत्र क्षेत्र के असरावलखुर्द गांव में करीब एक साल से आरकेएम शिक्षा समिति के नाम से एक चिटफंड कंपनी ने अपना दफ्तर खोल रखा था। इसमें इलाके के लोगों को पांच हजार मासिक वेतन पर रखा गया था। यह लोग तीस हजार रुपये लेकर एक व्यक्ति को कंपनी का सदस्य बनाते थे।
सदस्य बनने वाले को अपने चेन में बीस लोगों को शामिल करने पर एक बाइक और चालीस लोगों को जोड़ने पर कार देने का प्रलोभन दिया जा रहा था। लाखों रुपये बटोरने के बाद भी किसी भी सदस्य को कार या बाइक नहीं मिल सकी। इसे लेकर कंपनी के खिलाफ अंदर ही अंदर बगावत शुरू हो गई। कुछ लोगों ने मामले की शिकायत सीओ चायल आलोक मिश्र से की थी। उन्होंने गोपनीय जांच कराई। जांच में चिटफंड कंपनी को फर्जी पाया गया। सीओ आलोक मिश्र ने बताया कि बुधवार शाम मुखबिर ने सूचना दी कि चिटफंड कपंनी में लाखों रुपये का लेन-देन होने वाला है। इस पर एसओ पिपरी और एसओजी की संयुक्त टीम के साथ छापेमारी की गई। मौके से रमाकांत, मनोज कुमार निवासी असरावलखुर्द और प्रदीप निवासी फूलनगर फुलवा धूमनगंज पकडे़ गए। इन लोगों के पास से पुलिस को करीब तीस लाख रुपये मिले। पकड़े गए युवकों ने बताया कि कंपनी फतेहपुर का आरएन मौर्या संचालित करता है। कंपनी के जाल में इलाहाबाद, कौशाम्बी और फतेहपुर के तमाम लोग फंसे हैं। आरएन मौर्या की तलाश में पुलिस की टीम इलाहाबाद और फतेहपुर में छापेमारी कर रही है। सीओ के मुताबिक पकड़े गए कंपनी के लोग रुपये जमा करने या कंपनी के किसी तरह के रजिस्ट्रेशन को नहीं दिखा सके। मामले की जांच की जा रही है।
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