बिलासपुर. सरकार के आदेश जारी करने के बाद भी पुलिस ने न तो चिटफंड कंपनियों के खिलाफ मुहिम चलाई और न ही जनता को जागरूक करने में दिलचस्पी दिखाई। हद तो यह है कि अब तक गांव व शहर में निगरानी कमेटी तक नहीं बनाई गई है। जनता आज भी लुट रही है और बेनामी कंपनियां रातों-रात मालामाल हो रही हैं।
इसका ताजा उदाहरण अग्रसेन चौक स्थित सुपर मार्केट के तीसरे माले पर बिना रजिस्ट्रेशन संचालित पब्लिक लिमिटेड कंपनी है। हालांकि एक जागरूक नागरिक की शिकायत और साहस के बाद इस कंपनी के जालसाज अब पुलिस की गिरफ्त में हैं।
पुलिस हेडक्वार्टर रायपुर ने मार्च 2015 में सभी जिले के एसपी को एक पत्र जारी किया था, जिसमें पुलिस अफसरों को फर्जी कंपनियों से निपटने के लिए ग्राम, नगर पंचायत और शहरी क्षेत्रों में नगर पालिका व नगर निगम के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की मदद लेने की नसीहत दी गई थी। डीजी एएन उपाध्याय के हस्ताक्षर से जारी पत्र में राजपत्रित अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई थी कि वे अपने-अपने क्षेत्र में फर्जी नाॅन बैंकिंग, चिटफंड, मल्टीलेवल कंपनियों के दफ्तर जाकर उनके बारे में पूरी जानकारी हासिल करें।
स्थानीय बेरोजगारों को ऐसे कंपनियों से बचाने जनजागरूकता अभियान चलाएं। उन्होंने आॅनलाइन ठगी के बारे में समाचार-पत्रों व इलेक्ट्रानिक मीडिया की मदद लेने की बात कही थी। आदेश जारी हुए 6 माह गुजर गए हैं, लेकिन पुलिस ने इस दिशा में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया है।
होटल में 3 लोगों को पकड़ा, फिर छोड़ा था
3 जुलाई 2014 को चिटफंड कंपनी खोलने के लिए पुराने बसस्टैंड के पास एक होटल में रायपुर के एनजीओ के सदस्य मीटिंग ले रहे थे। शिकायत मिलने पर सिटी कोतवाली पुलिस ने वहां छापा मारकर तीन लोगों को हिरासत में लिया था। पूछताछ में पता चला कि ग्रामीण सुरक्षा प्रोजेक्ट के नाम पर रायपुर की एनजीओ भगवान बुद्ध सोशल वेलफेयर शहर में बीमा पालिसी की ब्रिक्री शुरू करना चाहती है। बीमा पालिसी चलाने के लिए भारतीय बीमा नियामक प्राधिकरण से मान्यता के दस्तावेज नहीं होने के बाद भी पुलिस ने तीनों को यह कहकर छोड़ दिया कि वे शहर में अपना कारोबार नहीं चलाएंगे।
कंपनी चलाने वाले को छोड़ दिया नौकरों पर कर लिया जुर्म दर्ज
पुलिस ने अग्रसेन चौक स्थित सुपर मार्केट के तीसरे माले में संचालित पल्स गोल्ड रियल स्टेट कंपनी के दो एजेंटों के खिलाफ जुर्म दर्ज कर लिया है, जबकि इसके संचालक को थाने से बाइज्जत छोड़ दिया गया।
नेवरा निवासी रिटायर्ड वनपाल अभिमन्यु पटेल की शिकायत पर सिविल लाइन पुलिस ने शुक्रवार दोपहर कंपनी के दफ्तर में छापा मारकर राजकिशोर नगर के पाटलीपुत्रा निवासी संचालक राजेश त्रिपाठी समेत कुछ एजेंटों को हिरासत में लिया था। थाने में देर रात तक पूछताछ की गई।
शनिवार को पुलिस ने रिटायर्ड वनपाल की रिपोर्ट पर कंपनी के एजेंट सुकलाल साहू व अमृतदास महंत के खिलाफ धारा 419, 420, 120 बी, 34 के तहत जुर्म दर्ज किया है। दोनों आरोपियों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। दूसरी ओर, रातभर थाने में बिठाने और पूछताछ करने के बाद शनिवार को कंपनी चलाने वाले त्रिपाठी को छोड़ दिया गया, जबकि उसने खुद ही पुलिस के सामने कबूल किया था कि उसने जनता के पांच करोड़ रुपए जमीन में निवेश किया है।
जल्द ही आदेश पर अमल किया जाएगा
चिटफंड कंपनियों के खिलाफ जागरूकता अभियान तो जिला व थाने स्तर पर पुलिस चला रही है, पर निगरानी समिति का गठन नहीं हो सका है। जल्द ही इस पर भी काम शुरू किया जाएगा।'' -अभिषेक पाठक, एसपी
पुलिस हेडक्वार्टर रायपुर ने मार्च 2015 में सभी जिले के एसपी को एक पत्र जारी किया था, जिसमें पुलिस अफसरों को फर्जी कंपनियों से निपटने के लिए ग्राम, नगर पंचायत और शहरी क्षेत्रों में नगर पालिका व नगर निगम के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की मदद लेने की नसीहत दी गई थी। डीजी एएन उपाध्याय के हस्ताक्षर से जारी पत्र में राजपत्रित अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई थी कि वे अपने-अपने क्षेत्र में फर्जी नाॅन बैंकिंग, चिटफंड, मल्टीलेवल कंपनियों के दफ्तर जाकर उनके बारे में पूरी जानकारी हासिल करें।
नेवरा निवासी रिटायर्ड वनपाल अभिमन्यु पटेल की शिकायत पर सिविल लाइन पुलिस ने शुक्रवार दोपहर कंपनी के दफ्तर में छापा मारकर राजकिशोर नगर के पाटलीपुत्रा निवासी संचालक राजेश त्रिपाठी समेत कुछ एजेंटों को हिरासत में लिया था। थाने में देर रात तक पूछताछ की गई।