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Chit fund disclosures After 6 companies Police raid, Assembly too hot

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रायपुर.राजधानी में सख्ती के बावजूद कारोबार कर रही चिटफंड कंपनियों को लेकर दैनिक भास्कर में हुए खुलासे के बाद पुलिस ने शुक्रवार को सभी कंपनियों में धावा बोला। पुलिस की अलग-अलग टीमें छह कंपनियों के दफ्तर में गईं, लेकिन इनमें से चार ताला लगाकर भाग चुकी थीं। दो कंपनियां खुली मिलीं, जिनकी पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।


 


पुलिस ने इन कंपनियों से सारे दस्तावेज और कंप्यूटरों पर दर्ज ब्योरा मांगा है। आला पुलिस अफसरों ने साफ किया कि दस्तावेज गड़बड़ मिले तो कंपनी के खिलाफ कार्रवाई कर दी जाएगी।




शहर के पॉश इलाके समता कॉलोनी में कलेक्टर और एसपी को बिना सूचना दिए बिना बांट रही जनलक्ष्मी फायनेंस कंपनी में आजाद चौक टीआई सतीश गहरवाल और टीम ने छापा मारा तो खलबली मच गई।


 


मौके पर मौजूद मैनेजर नितिन सिंग ने पुलिस को दस्तावेज दिखाने की कोशिश की, लेकिन वे ये नहीं बता पाए कि उन्होंने कलेक्टर और एसपी को कंपनी शुरू करने के संबंध में क्या सूचना दी थी।


 


कुछ दस्तावेज जब्त करने के अलावा पुलिस ने कंपनी को हफ्तेभर के भीतर दस्तावेज जमा करने का नोटिस दिया है। बताते हैं कि पुलिस के छापे के बाद कंपनी के बेंगलुरू स्थित मुख्यालय में भी हड़कंप मचा है। पुलिस ने साफ किया है कि दस्तावेज वैधानिक नहीं हुए तो कड़ी कार्रवाई कर दी जाएगी।


 


छापे से पहले ही फरार

जनलक्ष्मी के बाद यही टीम राधामोहन कांप्लेक्स के पास रोज वैली कंपनी में पहुंची तो वहां ताला लगा मिला। आसपास के लोगों ने बताया कि कल तक भीड़ लगती थी, लेकिन जैसे ही खबर छपी, कंपनी में ताला लग गया।


 


इसी तरह, राजेंद्रनगर थाने की टीम एएसआई श्रवण कुमार मिश्रा के साथ अमलीडीह में जेएसबी रियल इंफ्रा इंडिया कंपनी में जांच के लिए पहुंची तो वहां भी ताला लगा था। जबकि भास्कर में खुलासे के दिन तक कंपनी वित्तीय लेन-देन और कंप्यूटरों में जानकारियां फीड कर रही थी।


 


यहां से राजेंद्रनगर पुलिस न्यू राजेंद्रनगर में सामुदायिक भवन के पास यालस्को फायनेंस कंपनी के दफ्तर भी पहुंची, लेकिन ताला लगा था। पुलिस को आसपास के लोगों ने बताया कि दफ्तर गुरुवार को दोपहर तक चालू था।


 


विधायक मिलकर टूट पड़े चिटफंड कंपनियों पर, विस से वाकआउट

राजधानी समेत प्रदेशभर से लोगों के पैसे लेकर भाग रही चिटफंड कंपनियों पर कार्रवाई में सख्ती नहीं बरतने के मामले में शुक्रवार को विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ।


 


यह मामला सत्तापक्ष यानी भाजपा के ही सीनियर विधायक ने उठाया और विपक्षी कांग्रेस के सदस्यों ने भी उनका पूरा साथ दिया।


 


चिटफंड कंपनियों पर प्रदेश से 5 हजार करोड़ रुपए समेटकर भागने का आरोप लगाते हुए दोनों ही पक्षों ने सरकारी एजेंसियों की कार्रवाई को नाकाफी बताया और वाकआउट कर गए।


 


दैनिक भास्कर ने दो दिन पहले खुलासा किया था कि सख्त कानून के बावजूद राजधानी में भी चिटफंड कंपनियों में सरकारी एजेंसियों का खौफ नहीं है और वह खुलेआम यहीं काम कर रही हैं। इस धोखाधड़ी पर शुक्रवार को विधानसभा में जोरदार शोरशराबा हुआ।


 


खास बात यह कि सत्ता पक्ष ने यह मुद्दा विपक्ष के साथ मिलकर उठाया और सरकार पर जमकर तीर छोड़े। कांग्रेस विधायकों ने तो सदन से वॉक आउट भी किया।


 


प्रश्नकाल में यह मुद्दा भाजपा के सीनियर विधायक विधायक देवजी पटेल ने उठाया। उन्होंने इस संबंध में सवाल लगाया था और इसका जिक्र करते हुए चुटकी ली कि उन्हें जो उत्तर दिया गया है, उस परिशिष्ट के 13 पन्ने गायब हैं।


 


ऐसे में प्रश्न किस आधार पर करें। उन्होंने कहा कि इसी से पता चलता है चिटफंड के आरोपियों पर कार्रवाई करने में सरकारी एजेंसियां कितनी चुस्त हैं।


 


उन्होंने पुलिस की कार्रवाई को नाकाफी, पक्षपातपूर्ण बताते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा किया और कहा कि जो भी पीड़ित ऐसी कंपनियों के खिलाफ केस दर्ज करने जाते हैं, पुलिस उन्हीं पर कार्रवाई करती है।


 


डालफिन स्कूल का संचालक लाखों रुपए बटोरकर फरार हो गया, लेकिन अब तक पुलिस कुछ नहीं कर पाई है। भाजपा के ही शिवरतन शर्मा ने कहा कि कंपनियां और उनके डायरेक्टर तो पैसे लेकर भाग गए, जिन्हें पकड़ा जा रहा है वो एजेंट हैं और प्रदेश के बेरोजगार युवा हैं।


 


वे पूरे प्रदेश में जगह-जगह धरने पर हैं। सरकार को उन्हें बुलाकर चर्चा करनी चाहिए। तब प्रभारी गृहमंत्री ने कहा कि वे (शर्मा) खुद उन्हें लेकर मेरे बंगले पर आ जाएं। चर्चा कर लेंगे।


 



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  • 07 March, 2016
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