अंबिकापुर। टीसा एग्रो कंपनी लिमिटेड के द्वारा निवेशकों को लगाई गई एक करोड़ से अधिक की चपत के बाद स्थानीय स्तर पर कंपनी के एजेंट के रूप में काम कर रहे लोग मुसीबत में हैं। एजेंटों ने कंपनी के प्रलोभन में आकर लगभग एक करोड़ रूपए छत्तीसगढ़ में डायरेक्टर के रूप में काम कर रहे लोगों को सौंप दिया। कंपनी का कार्यालय बंद होने के बाद इन्हें अब उन ग्राहकों की खरी-खोटी सुननी पड़ रही है,जिनकी रकम उन्होंने चिटफंड कंपनी में जमा कराई है। चिटफंड कंपनी द्वारा मेच्युरिटी होने के बाद निवेशकों को दिए गए भुगतान का चेक बाउंस हो गया है। मामले की शिकायत पुलिस से किए जाने के बाद राहत नहीं मिली तो कंपनी से जुड़े एजेंटों ने सोमवार को कलेक्टर के जनदर्शन में पहुंच शिकायत दर्ज कराई। सरगुजा कलेक्टर ने मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
जानकारी के अनुसार कलकत्ता की टीसा एग्रो कंपनी लिमिटेड का जाल अंबिकापुर में रायगढ़ के तरूण डे और चांपा जांजगीर के चंदुलाल केशरवानी ने फैलाया था। इस चिटफंड कंपनी के डायरेक्टर मेदनापुर के सौमित्र दास पिता अरधेंदु दास बताए गए हैं। वर्ष 2013 में अंबिकापुर में चिटफंड के कारोबार का जाल बिछने के बाद मणीपुर मोहल्ले में कंपनी का ब्रांच कार्यालय खोला गया और तमाम बांड योजनाओं के साथ अच्छे रिटर्न एवं आय का प्रलोभन देकर एजेंटों की नियुक्ति की गई। कंपनी के दो सौ से अधिक एजेंटों ने अपने परिचितों के साथ नाते-रिश्तेदारों को कंपनी के विभिन्न योजनाओं में रकम निवेश के लिए प्रेरित किया एवं राशि जमा कराई। कम समय में अच्छे बिजनेस के बाद कमीशन से होने वाली अच्छी आय के लालच में एजेंटों ने शहर से गांव तक कारोबार फैलाया एवं राशि जमा कराई। कंपनी के एजेंट रितु साहू पति संतोष साहू, पप्पू कुमार जायसवाल पिता स्व.बनारसीलाल जायसवाल, रामकली सोनी पिता नंदकिशोर सोनी, साधना जायसवाल पिता पंचम जायसवाल, शीतल गुप्ता पिता मुन्नालाल गुप्ता, रवि गुप्ता पिता हीरालाल गुप्ता, राजकुमार गुप्ता पिता सूरज प्रसाद गुप्ता ने बताया कि उनके द्वारा कंपनी को करीब लगभग एक करोड़ रूपए का व्यवसाय दिया गया था। कंपनी के काम में लगभग दो सौ एजेंट लगे थे। इनमें ऐसे भी एजेंट शामिल हैं जिन्होंने 30 से 35 लाख तक का बिजनेस कर कंपनी को राशि जमा कराई है, लेकिन परिपक्वता की राशि किसी को नहीं मिल पाई। कंपनी का बिजनेस बढ़ने पर नया कार्यालय विजय मार्ग में स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के सामने खोला गया था। कार्यालय का कार्यभार मणीपुर निवासी राकेश प्रधान पिता स्व.रामेश्वर राम देख रहा था। चिटफंड कंपनियों पर जब प्रशासन ने शिकंजा कसा तो उसे वेतन मिलना भी बंद हो गया। वहीं निवेशकों के जमा योजनाओं की परिपक्वता अवधि पूर्ण हो जाने पर कंपनी द्वारा तीन निवेशकों को कंपनी ने चेक दिया जो भारतीय स्टेट बैंक से राशि नहीं होने के कारण बाउंस हो गया। इससे हड़बड़ाए निवेशकों ने एजेंटों पर राशि के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। हलाकान एजेंटों ने पहले पुलिस के समक्ष गुहार लगाई एवं वहां से राहत नहीं मिलने पर कलेक्टर के समक्ष जनदर्शन में आवेदन सौंप कार्रवाई की मांग की। एजेंटों ने टीसा कंपनी के छत्तीसगढ़ के मुख्य कर्ताधर्ता से राशि वसूल कराने की मांग की है।
रायगढ़ और सरगुजा में 2 करोड़ की चपत -
टीसा एग्रो कंपनी लिमिटेड से जुड़े एजेंटों ने बताया कि कंपनी का कारोबार रायगढ़ और सरगुजा जिले में बड़े पैमाने पर फैल गया था। दोनों ही जिलों में काफी एजेंट नियुक्त किए गए थे जो अच्छी आय के प्रलोभन में उक्त कंपनी के आकर्षक स्कीमों के झांसे में बिना सोचे-समझे आते चले गए। एजेंटों ने भी अधिक आय के चक्कर में सब एजेंट नियुक्त किया था। शिकायत करने पहुंचे एजेंटों ने बताया कि रायगढ़ और सरगुजा से कम से कम दो करोड़ रूपए बटोरकर कंपनी ने कारोबार समेट लिया है।
बीच रास्ते में हो रही फजीहत -
टीसा एग्रो कंपनी लिमिटेड में एजेंट बतौर काम की साधना जायसवाल ने बताया कि उसके द्वारा कंपनी को एक लाख 11 हजार रूपए का बिजनेस दिया गया। रामकली ने लगभग 10 लाख का, राजकुमार गुप्ता ने 31 लाख, नीतू साहू ने 3 लाख का बिजनेस कंपनी को दिया था। ऐसे ही अन्य एजेंटों के मार्फत कंपनी के छत्तीसगढ़ के मुख्य लीडर तरूण डे व चंदूलाल केशरवानी को उन्होंने लाखों-लाख रूपए ग्राहकों से लेकर दिया। आज जब उनके सामने ग्राहकों से आंख मिला पाने की स्थिति नहीं है और वे उनसे संपर्क कर रहे हैं तो इनके द्वारा उल्टे उन्हें धमकाया जा रहा है। जिन ग्राहकों का रकम बांड या अन्य योजनाओं के नाम पर उन्होंने कंपनी को सौंपा है,उनमें से कई की परिपक्वता अवधि पूरी हो चुकी है पर उन्हें रकम नहीं मिल पाई है। ऐसे ग्राहक अब बीच रास्ते में इन्हें रोककर फजीहत करने में लगे हैं। एक एजेंट ने अपना स्कूटी निवेशकों से बचाने के लिए एक माह का समय मांगा है और बांडधारक को लिखित में दिया है। ऐसे ही हालातों से अन्य महिला एजेंट भी जूझ रही हैं।
एफआईआर कराने के निर्देश -
कलेक्टर श्रीमती ऋतु सैन ने शिकायत करने पहुंचे एजेंटों को जमाकर्ताओं के साथ थाने में जाकर कपंनी के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने संबंधितों से कहा कि किसी भी कंपनी में पैसा जमा करने से पूर्व उसकी पूरी पड़ताल कर लेनी चाहिए। अधिक ब्याज के लालच में लोगों द्वारा बिना सोचे-समझे अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा अेसी चिटफंड कंपनियों में जमा कर दिया जाता है,जिसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। कलेक्टर ने लोगों से इस तरह के झांसे में नहीं आने का आग्रह किया है।
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