कोलकाता: कलकत्ता हाइकोर्ट ने रोज वैली, एमपीएस सहित अन्य चिटफंड कंपनियों से जुड़े मामलों की सुनवाई में निवेशकों का पैसा लौटाने की पहल की है. इससे राज्य भर के लाखों निवेशकों को राहत मिल सकती है. हाइकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर व न्यायाधीश जयमाल्य बागची की खंडपीठ ने केंद्र व राज्य सरकार सहित सभी याचिकाकर्ताओं को प्रस्ताव दिया है कि 'प्रोहिबिशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट' के तहत प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जब्त संपत्ति का विक्रय किया जा सकता है या नहीं, इस बाबत प्रस्ताव दिया है. हालांकि एक्ट के मुतािबक इसके तहत कोई प्रावधान नहीं है.
लिहाजा खंडपीठ का कहना है कि अदालत के पास ऐसा अधिकार है कि जब्त संपत्ति की बिक्री का आदेश वह दे सकती है. लेकिन इस बिक्री में उक्त चिटफंड के मालिक या एजेंट लाभान्वित नहीं हो सकते. अदालत ने केंद्र व राज्य सरकार के अलावा याचिकाकर्ताओं को प्रस्ताव पर विचार कर उनका रुख बताने के लिए कहा है. 16 सितंबर को मामले की फिर सुनवाई होगी और इसी िदन उन्हें अपना रुख बताना होगा.
सेबी ने दी थी निर्देश को चुनौती
रोज वैली के एक मामले में हाइकोर्ट की सिंगल बेंच ने संपत्ति की बिक्री के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था. लेकिन सेबी ने बेंच के निर्देश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की कि कानून के तहत जब्त संपत्ति की बिक्री का अधिकार कमेटी को नहीं है.
टावर ग्रुप की संपत्ति बेचने के लिए विज्ञापन देने का निर्देश
इधर, टावर इनफोटेक की बांकुड़ा की एक संपत्ति की बिक्री के मामले में खंडपीठ ने सेबी को उपयुक्त कदम उठाने का निर्देश दिया है. आगामी 14 सितंबर को इस संपत्ति की बिक्री के लिए अखबारों में सेबी को विज्ञापन देने के लिए कहा गया है. 30 सितंबर को उक्त संपत्ति की नीलामी होगी.
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