Raipur, Chhattisgarh: प्रदेश में चिटफंड कंपनियों द्वारा जनता से धोखाधड़ी किए जाने का मामला सोमवार को विधानसभा में जोरशोर से उठा। भाजपा विधायक संतोष बाफना (Santosh Bafna), कांग्रेस विधायक अरुण वोरा व मोतीलाल देवांगन (Arun Vora & Motilal Dewangn) ने ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से यह मामला उठाया। गृहमंत्री रामसेवक पैकरा (Ramsevak Pakra) ने बताया कि वर्ष 2010 से वर्ष 2014 तक फर्जी नॉन बैंकिंग कंपनियों, माइक्रो फाइनेंस कंपनी, मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनी के खिलाफ 124 प्रकरण दर्ज किए गए हैं।
पक्ष-विपक्ष के सदस्यों ने कहा कि प्रदेश में प्रशासन की लापरवाही व उदासीनता के कारण चिटफंड कंपनियों व सटोरियों के हौसले बुलंद हैं। अंचल में चिटफंड कंपनियों द्वारा दोगुनी रकम दिलाने का झांसा देकर लोगों से विभिन्न स्कीमों में पैसा डालने को कहा जाता है, परंतु समय पूरा होने के बाद भी उनकी राशि नहीं लौटाई जाती। सांई प्रसाद, गरिमा फाइनेंस, रोजवेली जैसी अनेक फर्जी फाइनेंस कंपनियां बस्तर में अपना जाल बिछा चुकी हैं। जांजगीर-चांपा जिले में भी चिटफंड कंपनियों का जाल फैला हुआ है। रकम दोगुना करने के लालच में गरीब फंस रहे हैं। चिटफंड कंपिनयां छत्तीसगढ़ के निवेशकों से पांच हजार करोड़ से अधिक राशि ठग चुकी हैं। कई चिटफंड कंपनियों द्वारा रिजर्व बैंक से लाइसेंस लिए बिना ही काम किए जाने के बावजूद विभाग उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
शिकायत मिलने पर कार्यवाही: गृहमंत्री
गृहमंत्री ने कहा कि शासन द्वारा वित्तीय अनियिमतता में लिप्त कंपिनयों के खिलाफ शिकायत मिलने पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। बस्तर में संचालित सांई प्रकाश प्रॉपर्टी डिवेलपमेंट, बीजापुर व कांकेर में संचालित एचबीएन डेयरी तथा फाइन इंडिया कंपनी के खिलाफ शिकायत प्राप्त होने पर अपराध पंजीबद्ध कर कार्रवाई की गई है। रोजवेली, गरिमा कंपनी के खिलाफ जांच जारी है। बस्तर में कुल 27 शिकायतें विभिन्न कंपनियों के खिलाफ प्राप्त हुई हैं। जेएसटी होम्स व जेएसटी फाइनेंशियल कंसलटेंसी के संचालक तारक रंजन मांझी व शिखा मांझी के खिलाफ रायपुर जिले में 18 अपराध पंजीबद्ध कर उन्हें गिरफ्तार किया गया है। एचबीएन कंपनी के खिलाफ न्यू राजेंद्रनगर थाने में अपराध दर्ज है। जांजगीर-चांपा जिले में 2014-15 में चार प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है।
रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी कार्यालय से पंजीबद्ध
गृहमंत्री ने बताया कि सभी कंपनियां रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी कार्यालय से पंजीबद्ध हैं। भारतीय रिजर्व बैंक नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी को लाइसेंस देता है, जबकि ये कंपनियां नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी नहीं हैं। 12 करोड़ की राशि वसूलकर निवेशकों को लौटाई गई हैं।
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