धमतरी। चिटफंड कंपनी अब एजेंटों के गले की फांस बन गई है। लोगों से रुपए जमा कराने के नाम पर स्टाम्प में लिखकर देने और हर स्थिति में रुपए दिलाने का दावा करने वाले एजेंट ने भी रुपए देने से हाथ खड़ा कर दिया है। चिटफंड कंपनी के एक एजेंट की शिकायत कुछ ग्रामीणों ने पिछले दिनों जनदर्शन में कर रुपए दिलाने की मांग की है।
चिटफंड कंपनी से जुड़कर कई ग्रामीण व शहर के युवक, युवतियां और महिलाएं एजेंट बनकर काम किया। स्टाम्प पेपर में लिखकर व रुपए दिलाने दावा करके लोगों से रुपए जमा कराया, लेकिन मैच्युरिटी पूरी होने के सालो बाद भी कंपनी रुपए नहीं दे पा रही है। ऐसे में एजेंटों की बोलती बंद हो गई और चिटफंड कंपनी उनके लिए गले की फांस बन गई है। रुपए देने के नाम पर कई एजेंट तो गांव व शहर छोड़कर भाग गए हैं, तो कई अभी भी रुपए दिलाने का लोगों को भरोसा दिला रहे हैं। एजेंटों की शिकायत अब कलेक्टोरेट तक पहुंच रही है, जिससे कई चिटफंड कंपनी के सक्रिय एजेंटों में हड़कंप मच गया है।
एजेंट की शिकायत जनदर्शन में
ग्राम बोड़रा के सोहन लाल साहू, पवन कुमार, गनपत यादव, तीज बाई, भागवत राम, खोरबाहरा राम, बलियारा के टेमन कुमार, मूलचंद आदि पीड़ित ग्रामीण पिछले दिनों कलेक्टोरेट में आयोजित जनदर्शन कार्यक्रम में पहुंचे। लिखित शिकायत करते हुए ग्रामीणों ने अधिकारियों को बताया कि वर्ष 2004 में ग्राम सांकरा के एक चिटफंड कंपनी के एजेंट के पास उनके बताए प्लान के अनुसार हजारों रुपए जमा किया है। समय पर जमा राशि की रसीद भी दी गई। 6 वर्ष बाद मैच्युरिटी पूरी हुई, उसके बाद से अब तक लोगों का जमा लाखों रुपए नहीं मिला है। एजेंट से शिकायत किए जाने पर भरोसा दिलाता रहा, लेकिन सालों बीतने के बाद भी रुपए नहीं मिले। एजेंट ने रुपए जमा करने वाले ग्रामीणों को स्टाम्प पेपर में लिखकर दिया कि वह उनके रुपए दिलाएगा। कई बार रुपए मांगे जाने के बाद रुपए नहीं दे रहा है। ग्रामीणों ने शासन से शिकायत कर उक्त एजेंट से जल्द रुपए दिलाने की मांग की है। जनदर्शन में ग्रामीणों को कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।
अधिकांश में जड़ा ताला
शहर में संचालित अधिकांश चिटफंड कंपनियों में ताला लग गया है। कंपनी के अधिकारी व कर्मचारी फरार है। इन कंपनियों में रुपए जमा करने वाले पीड़ित लोग मैच्युरिटी पूरी होने के बाद रुपए के लिए चक्कर काट रहे हैं। कंपनी के एजेंट ग्रामीणों को सिर्फ भरोसा दिला रहे हैं। आए दिन पीड़ित ग्रामीणों द्वारा एजेंटों के घर पहुंचने से एजेंटों की मुसीबत बढ़ गई है। कई एजेंट फरार हो चुके हैं, तो कई अब भी भरोसा दिला रहे हैं।
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