80 crore in the name of investment so far has been smoothie spring
Admin | 09 October, 2015 | 566 | 3980
चिटफंड कंपनी बनाकर बसंत उपाधाय ने अब तक करीब 70 से 80 लोगों से 80 करोड़ रुपए ठगे हैं। बसंत पैसे लेकर नितिन बलेचा को देता था। वहां से ब्याज की राशि अाने पर वह लोगों को चुका देता था। नितिन पैसा कहां इन्वेस्ट करता था। ये बसंत नहीं बता पा रहा है। निवेश्कों में रायसेन के अलावा कई जिलों के लोग शामिल हैं।
ये खुलासा मंगलवार को बसंत ने पुलिस पूछताछ में किया। पुलिस ने बसंत उपाध्याय को सीजीएम कोर्ट में पेश किया। जहां पुलिस ने कोर्ट से बसंत उपाध्याय को 13 अक्टूबर तक की िरमांड देने का आवेदन दिया, जिससे कोर्ट ने स्वीकार कर पुलिस रिमांड पर देने के आदेश कर दिए।
एसडीओपी मंजीत सिंह ने बताया कि छह लोगों ने उनके साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत की है। जिसकी जांच चल रही है। निवेशकों ने 25 लाख रुपए के चेक और एफडी का दस्तावेज पुलिस को सौंपे हैं। पुलिस के मुताबिक बसंत के पास अभी निवेश का रिकार्ड मौजूद नहीं है। रिकार्ड जप्त करने के बाद ही धोखाधड़ी की राशि की सही जानकारी सामने आ पाएगी। कोतवाली थाने में अर्जुन नगर निवासी दिलीप कोष्टा की शिकायत पर धोखाधड़ी और मप्र निवेशकों के हितों को संरक्षण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत तीन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है। इनमें राम कॉलोनी बरनाला रोड सिरसा हरियाणा निवासी िनतिन बलेचा पुत्र कमल बलेचा, मुखर्जी नगर रायसेन निवासी बसंत उपाध्याय पुत्र आरपी उपाध्याय और सागर निवासी वीरेंद्रसिंह पुत्र दिलीप चौहान शामिल हैं।
तीन बहिनों में अकेला भाई है बसंत: बसंत उपाध्याय का परिवार मुखर्जी में रहता था। उसके पिता आरपी उपाध्याय कृषि विभाग में अधिकारी थे। उनकी मौत आठ साल पहले ही हो चुकी है। बसंत की तीन बहिनें हंै, जिनकी शादी हो चुकी है। ठकी की वारदात करने के बाद आठ माह पहले बसंत रायसेन छोड़कर भाग गया था।
पुलिस के साथ ठग बसंत।
भास्कर को बताई आपबीती: हम तो भरोसे और लालच में ठगे गए
भोपाल ने नहीं रायसेन पुलिस ने पकड़ा है बसंत को: एसडीओपी
चिटफंड कंपनी श्रद्धा साई कमोडटी लिमिटेड के डायरेक्टर बसंत उपाध्याय को गिरफ्तार करने का दावा रायसेन पुलिस कर रही है। मंगलवार को पुलिस कंट्रोल रूम में रखी गई प्रेसवार्ता में रायसेन एसडीओपी मंजीतसिंह ने कहा की बसंत काे भोपाल पुलिस ने नहीं रायसेन पुलिस ने गिरफ्तार किया है। जब उनसे सवाल पूछा गया की गिरफ्तारी कहां से की गई तो काफी देर तक जबाव नहीं दे पाए। फिर उन्होंने बताया कि मुखबिर की सूचना पर सागर तिराहे से बसंत काे पकड़ा गया है। गिरफ्तारी की इससे ज्यादा जानकारी एसडीओपी नहीं दे पाए। श्री सिंह ने बताया कि आरोपी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक दिल्ली में वर्ष 2010 में कमोडिटी कपंनी के रूप में रजिस्ट्रेशन कराया गया था। उसके बाद उन्होंने बैंकिंग कंपनी के हिसाब से काम करना शुरु कर दिया।अब इस बात की जानकारी जुटाई जा रही है कि सेबी और दूसरे संस्थानों से बैकिंग की अनुमति ली गई थी अथवा नहीं।
जमीन बेचकर जमा कराए थे रुपए
रायसेन के नकतरा में रहने वाले राकेश मीणा भी बसंत उपाध्याय द्वारा की गई ठगी का शिकार हो गए। जमीन बेचकर उन्होंने चार लाख रुपए बसंत की चिट फंड कंपनी में वर्ष 2013 में लगा दिए। आठ से दस महीने तो राकेश को प्रति माह ब्याज के रूप में आठ हजार रुपए दिए जाते रहे। बाद में पैसा मिलना बंद हो गया। जब राकेश ने अपने पैसे वापस मांगे तो बसंत कपंनी की क्लोजिंग तो कभी कोई नई कहानी बताकर टालता रहा। वह कंपनी की दुबई में होटल होने का झांसा भी देता था। बसंत ने राकेश से मिलकर उसे भी नौकरी लगवाने का भरोसा दिलवाया। राकेश बताते हैं कि उनके एक परिचित व्यक्ति के यहां बंसत का अाना जाना था। उन्होंने भी बसंत की कंपनी में पैसा लगा रखे थे। राकेश को भी उन्होंनें पैसा इंवेस्ट करनी की सलाह दी जो उसे पसंद आ गई। इसके चलते वह भी अपने चार लाख रुपए गवां बैठा ।
भराेसा जीता और ठग ले गया आठ लाख रुपए
बसंत हमारे ही मोहल्ला में रहता था। उसके पिता कृषि विभाग में एसडीओ थे। करीब 25 से 30 साल वह अपने परिवार के साथ यहां रहा है। वह बहुत ही मिलन सार और मृदुभाषी था। मुखर्जी नगर में ही रहने वाली श्रीमती शर्मा ने भरोसे में आकर बसंत उपाध्याय की चिटफंड कंपनी में साढ़े चार लाख रुपए जमा करा दिए। समय पर उन्हें ब्याज मिलता गया । इससे उनका भरोसा भी बढ़ता गया । उसके बाद वे निवेश की राशि भी बढ़ाती गईं । इस तरह से उन्होंने से चार लाख रुपय का निवेश कर दिया। श्रीमती शर्मा के मुताबिक बसंत ने यहां से भागने की तैयारी कर ली थी, लोग समझ नहीं पाए। उसने एक-एक कर घर का सामान बाहर शिफ्ट कराना शुरु कर दिया था। यह बात हम भी नहीं समझ पाए की बसंत यहां से भाग सकता है। िवगत छह माह से मुखर्जीनगर स्थित मकान पर ताला पड़ा है । उनके मुताबिक उन्होंने यह सोचकर पैसा इंवेस्ट किया था कि ब्याज की राशि बच्चों की पढ़ाई के खर्च के लिए काम आ सकेगी, लेकिन मूल रािश ही डूब गई।
नौकरी लगवाने के नाम पर जमा करवाए रुपए
अर्जुन नगर निवासी िनजी स्कूल के शिक्षक दिलीप कुमार कोष्टा अपनी जीवन भर की जमा पूंजी चिटफंड कंपनी के नाम पर लुटा बैठे। श्री कोष्टा के मुताबिक सरस्वती स्कूल में पढ़ाते थे। वहां से किसी कारण से उनकी नौकरी छूट गई। जीपीएफ का पैसा उन्हें मिला था। जब वे बसंत उपाध्याय के संपर्क में आए तो उसने अपने एनजीओ में कोष्टा की नौकरी देने का भरोसा दिलाया। बेरोजगार होने से कोष्टा उसकी बातों में आ गए। इसके अलावा पैसे जमा करने के लिए उसने ब्याज देने का भरोसा तो दिलाया। इतना ही नहीं बसंत ने उन्हें ब्लैंक चेक भी दे दिए। इन सब के चलते उनका भरोसा बढ़ गया । कोष्टा ने चार लाख रुपए तीन किस्तों में जमा करा दिए। कोष्टा ने बताया कि तत्कालीन के कलेक्टर के साथ भी उसका फोटो देखा था। इन सब के कारण उन्होंने बसंत पर भरोसा कर अपनी जमा पूंजी उसके हवाले कर दी। बाद उन्होंने बैंक में चेक लगाए तो वे बाउंस लो गए।
70 साल की चिरोंजीबाई को भाई बनकर ठगा
नगर के रामलीला निवासी चिरोंजीबाई 70 साल के मुताबिक मुखर्जी नगर में रहने वाले बसंत उपाध्याय उन्हें सगी बहन से ज्यादा मानता था। दोनों परिवारों का एक दूसरे के घर अाना जाना होता था । चिरोंजीबाई, बसंत की मां से मिलने भी जाती थी। रायसेन में जमीन बेचने के बाद चिरोंजी बाई ने इसी भरोसे में पैसे बसंत की चिटफंड कंपनी में चार लाख साठ हजार रुपए जमा करा दिए। इतना ही नहीं वह हर तीन माह में दो प्रतिशत प्रतिमाह की दर से उन्हें जमा कराई गई राशि पर ब्याज भी देता था। इससे िचरोंजी बाई का भरोसा और बढ़ता गया। सबसे पहले उन्होंने 60 हजार रुपए जमा कराए। उसके बाद दो बार एक-एक लाख रुपए का जमा किए। अाखिरी बार चिरोंजीबाई ने एक मुश्त दो लाख रुपए जमा कराए थे। चिरोेंजीबाई के मुताबिक उन्होंने एक रायसेन में एक प्लाट खरीदा तो पैसा की जरुरत पड़ी। बसंत उपाध्याय से उन्होंने अपने पैसा मांगा तो कुछ दिन तक तो वह पैसे देने की बात कहता रहा है। उसके बाद शहर छोड़कर वह चंपत हो गया।
ये खुलासा मंगलवार को बसंत ने पुलिस पूछताछ में किया। पुलिस ने बसंत उपाध्याय को सीजीएम कोर्ट में पेश किया। जहां पुलिस ने कोर्ट से बसंत उपाध्याय को 13 अक्टूबर तक की िरमांड देने का आवेदन दिया, जिससे कोर्ट ने स्वीकार कर पुलिस रिमांड पर देने के आदेश कर दिए।