कोटा - आपको अलवर के महाराज जयसिंह का किस्सा तो याद होगा जब उन्होंने 6 रोल्स रॉयस कारों से कचरा उठवाया था। कंपनी के माफी मांगने के बाद ही उन्होंने लक्जरी कारों से कचरा उठवाना बंद किया। ऐसा ही दिलचस्प वाक्या राजस्थान के कोटा में देखने को मिला। कार कंपनी की खराब सर्विस से खिन्न एक व्यवसायी ने 10 लाख की लक्सरी गाड़ी कचरा उठाने के लिए दान कर दी। करीब 10 लाख रुपये की ये कार इन दिनों कोटा की सड़कों पर कूड़ा उठाए घूम रही है, लेकिन सवाल ये कि आखिर इतनी महंगी कार का इस्तेमाल कूड़ा उठाने के लिए क्यों किया जा रहा है?
आपको बता दें, कि रेनो कंपनी की एसयूवी यानी स्पोर्ट्स यूटिलिटी वेहिकल डस्टर है। लेकिन कोटा के कारोबारी राजेश पारेता अपनी डस्टर कार का इस्तेमाल कूड़ा फिंकवाने के लिए कर रहे हैं। राजेश पारेता ने 2012 में बड़े शौक से नई डस्टर कार खरीदी थी, लेकिन राजेश का आरोप है कि उनकी डस्टर कार आने के साथ से ही सर्विस सेंटर के चक्कर काटने लगी। कार के इलेक्ट्रिक सिस्टम और एयर कंडिशनर में लगातार दिक्कत आती रही। राजेश के मुताबिक साल के 365 दिन में से 200 दिन उनकी डस्टर कार सर्विस सेंटर में ही रही। सर्विस सेंटर के चक्कर काटते-काटते राजेश परेशान हो गए। आखिरकार उन्होंने अपनी डस्टर कार मोड़क स्टेशन गांव की ग्राम पंचायत को दान कर दी।
सरपंच को कार सौंपते वक्त उन्होंने कहा कि इसका इस्तेमाल कचरा उठाने के लिए ही किया जाए। इतना ही नहीं राजेश ने कार पर मोटे-मोटे अक्षरों में लिखवा दिया- कचरा पात्र वाहन। किसी महंगी कार से कूड़ा उठवाने का ये पहला मामला नहीं है। करीब 55 साल पुराना एक बेहद मशहूर किस्सा है अलवर के महाराजा जय सिंह का। महाराज जय सिंह एक बार सादे कपड़ों में लंदन में रोल्स रॉयस के शोरूम में पहुंचे। शोरूम में मौजूद लोगों ने महाराज को अपमानित कर वहां से निकाल दिया। बाद में उन्होंने 6 रोल्स रॉयस कारें खरीद लीं और उनसे अलवर में कचरा उठवाने लगे। जानकारी मिलने पर रोल्स रॉयस के अफसर महाराज के पास पहुंचे और उनसे माफी मांगी। तब जाकर महाराजा जय सिंह ने इन लग्जरी कारों से कचरा उठवाना बंद किया। अब देखना ये है कि राजेश पारेता के मामले में रेनो कंपनी के अफसर क्या कदम उठाते हैं?